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क्या आजकल रिश्तों में डिजिटलाईज़ेशन हो गया है?

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Swati Bundela
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"मोबाइल फ़ोन्स और सोशल मीडिया " जितने मददगार साबित हुए हैं, उतने ही हमारे रिश्ते इन्ही मोबाइलों और सोशल मीडिया में फस के रह गए हैं।आजकल हर मोबाइल फ़ोन ठीक से नेटवर्क हो न हो लेकिन कैमरा बहुत अच्छे क्वालिटी के होते हैं, बस, आजकल की युवा पीढ़ी "सेल्फीज़" लेने में और अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में व्यस्त रहती हैं।यहींआजकल का एक कड़वा सच है की पारिवारिक रिश्ते भी आजकल डिजिटल बन गए हैं।

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रेस्टॉरेंट में, पार्क में, या फिर ऑफिस में भी हम अपने मोबाइल में ही व्यस्त रहतें हैं। मैं हाल ही मैं अपने फॅमिली ट्रिप में थी, एक रेस्टोरेंट में मैंने देखा की एक चार लोगों का परिवार सामने की टेबल पे खाना खा रहा था, सभी काफी शांत थे, परिवार के चारों लोग अपने ही मोबाइल देख रहे थे, ना वे आपस में कुछ बात कर रहे थे, और न ही ठीक से खाना खा रहे थे।

देखने वाली बात तो यह है की हम अपने दोस्तों के साथ होते हैं, उनसे बात करने और मिलने के लिए अपना समय देतें हैं, लेकिन उससे कई ज़्यादा ज़रूरी उनके लिए फोटो खींचना होता हैं ताकि वह अपने फेसबुक या फिर इंस्टाग्राम प्रोफाइल में डाल सकें। कहने को तो आजकल यही दोस्ती भी डिजिटल हो गयी हैं जो सिर्फ फेसबुक तक ही सीमित रह गयी है।

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हम अपने माता-पिता के साथ बहार जातें हैं या फिर उनका जन्मदिन मनातें हैं, उनके साथ बात करने की बजाये  हम उन्हें फेसबुक में शुभकामनाएं देतें हैं। तो क्या यह रिश्तों का डिजिटलाईज़ेशन नहीं है? आजकल के दोस्तों को भी बात करने का वक़्त नहीं है, उनके जीवन के सुख दुःख हमे सोशल मीडिया से पता चलता है। कहने को तो ऐसा सब कहतें हैं की "टाइम ही नहीं मिलता" लेकिन दिन के हूँ दो घंटे सोशल मीडिया में बिता देतें हैं। मैं यह नहीं कहती की यह गलत हैं, कभी काम की वजह से या अपने प्रोफेशन की वजह से ऑनलाइन रहना सही हैं, लेकिन हमेशा वक़्त को दोष देना सही नहीं हैं।

आइए बात करें की कैसे हम अपने रिश्तों में कैसे नयापन और प्यार बढ़ा सकतें हैं।

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१. अपने ऑनलाइन होने का समय निश्चित कर लें। कहने का मतलब हैं की अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेने के लिए आप सोशल मीडिया में ऑनलाइन रह सकतें हैं। अगर किसी को बहुत इमरजेंसी हैं तो वह आपको सीधा कॉल कर ही सकतें हैं।



२. परिवारजनो के साथ समय बिताते वक़्त कुछ पल अपने मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें।
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३. दोस्तों के साथ एन्जॉय करते वक़्त थोड़े फोटो खीचिए लेकिन कुछ मिंटो के बाद मोबाइल न देखिये। अपनी दोस्ती को सोशल मीडिया से ज़्यादा महत्व दीजिये।

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४.जब आप सामने किसी भी व्यक्ति से आमने -सामने बात कर रहें हो तब अपने मोबाइल फ़ोन चेक न करें, अगर बहुत ही ज़रूरी हो तो बात अलग हैं।



५. यह बात हमेशा याद रखें की आपने "मोबाइल और सोशल मीडिया को अपनाया हैं, मोबाइल या सोशल मीडिया ने आपको नहीं"।
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६. अपने वेकेशन में सोशल मीडिया में कम से कम रहें।

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रिश्ते शायद न रहें लेकिन यह डिजिटलाईज़ेशन हमेशा रहेगा, इसीलिए अपने जीवन में रिश्तों को सबसे ऊपर रखें। यह डिजिटलाईज़ेशन आपके जीवन का केवल एक हिस्सा हैं, जीवन नहीं।



कावेरी पुरन्धर शीदपीपल.टीवी के साथ आउटरीच एडिटर हैं।
#फेमिनिज्म
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