Dilemma: आज के समय में यह जानना बेहद जरूरी है कि अगर आपके विचार अपने दोस्त, परिवार या अपने पार्टनर से नहीं मिल रहे हैं तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप उनका सम्मान नहीं करते। यह बस विचारों का मतभेद है और सीधे कहीं तो विचारों का अंतर जो हम सभी को एक दूसरे से अलग बनाता है। हमारे परिजन खासकर के माता-पिता इस बात से काफी परेशान रहते हैं अगर हम उनकी पसंद को ठुकरा देते हैं या उनकी नापसंद को अपनाते हैं तो उन्हें लगता है कि आप उनकी बात नहीं सुनते हैं, उन्हें नजरअंदाज करते हैं।
Disagreement of opinions vs disrespect
आइए देखते हैं आज के युवा वर्ग को किस तरह से अपने पैरंट्स के साथ डील करना पड़ता है सबसे पहले तो यही बात अगर अपनी पसंद का कोई काम कर रहे हैं और अगर वही काम या वही चीज उनके पेरेंट्स को पसंद नहीं है तो वे आपत्ति जताते हैं। आज के युग में हर किसी का अपना पैशन है, अपना झुकाव है और अगर उसी में अपना करियर बनाना चाहते हैं उसमें कुछ बुरा तो नहीं है लेकिन वही अगर उनकी अपने परिवार को यह पसंद नहीं आता है तो वे उम्मीद करते हैं उनका बेटा या बेटी वह जो यह कार्य ना करें लेकिन यह सही है कि आप अपनी ही संतान को उसकी होगी एवं पसंदीदा काम से दूर लेकर चले जा रहे हैं।
पार्टनर के साथ नोकझोंक
रिश्ते में रिस्पेक्ट का होना बहुत जरूरी है लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि आखिर रिस्पेक्ट का सही धर्म में क्या मतलब है। आप अपने पार्टनर को उनकी खुशी से नहीं रोक सकते अगर वह चीज आपको नहीं लुभा रही है, आपको नापसंद है। अक्सर पार्टनर में नोकझोंक इसी बात पर होती है की उनका सम्मान नहीं किया जाता। जब उनसे पूछा गया कि आखिर क्या उन्होंने कुछ ऐसा अपमानजनक कहा तो पता पड़ता है कि उनके बीच विचारों के मतभेद है तो सिर्फ विचारों में अंतर हो जाने से इसे अपमानजनक कहना तो सही बिल्कुल भी नहीं है। जरूरत है एक हेल्दी कन्वर्सेशन(heathy conversation) की जहां पर आप यह समझे कि विचारों के साथ मतभेद होना अपमानजनक नहीं हो सकता। हम सभी का अपना स्पेस(space) है, अपनी पर्सनैलिटी है, तो अपने गुण भी हैं साथ ही साथ अपनी खूबी भी है। यह जरूरी नहीं कि जो चीज हमें पसंद है वही हमारे पार्टनर, माता-पिता या दोस्त को भी हो।
सूक्ष्म नजरिए की है जरूरत
विचारों में मतभेद होना और अपमानजनक लगना दोनों में बेहद छोटा अंतर है। अगर आपको अपना जीवन स्वच्छंदता से जीना है तो उसी प्रकार आपके अपने दोस्त, परिवार और पार्टनर को भी उसी आजादी से जीवन जीने का हक है। बेहतर है आप अपने नजरिया को बदले और समझे कि अपने विचारों को प्रकट करना कभी भी अपमानजनक नहीं हो सकता। इसे जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी समझ जाना चाहिए क्योंकि समय जाने पर यह toxicity भी उत्पन्न कर सकता है जो आपके अपनों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर आप सही में चाहते हैं आपका अपना बच्चा पार्टनर या माता-पिता खुश रहे, अपनी जिंदगी में आगे बढ़े तो यह बात समझ लीजिए कि उनका अपना एक जीवन है उनकी भी अपनी एक सोच है जो उनके वातावरण ने या उनकी अपनी पर्सनैलिटी ने उन्हें दी है।