/hindi/media/media_files/2025/06/19/sex-talks-2025-06-19-16-07-06.png)
Photograph: (Freepik)
Do You Also Feel Hesitant or Afraid Thinking Of Sex Then Know How To Get Out Of It! हमारे समाज में 'सेक्स' शब्द सुनते ही जैसे हर जगह सन्नाटा सा छा जाता है, लोगों की आँखें शर्म से झुक जाती हैं और या फिर बातचीत बदल दी जाती है। खासकर जब बात महिलाओं के लिए आती है या उनकी मौजूदगी में होती है, सेक्स एक ऐसा विषय बन जाता है जिसे लेकर सवाल तो बहुत हैं लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं। क्या आपको भी सेक्स के बारे में सोचकर घबराहट होती है? क्या इस पर खुलकर बात करने में आप भी संकोच करती हैं? तो आप अकेली नहीं हैं। भारत में लाखों महिलाएं सेक्स को लेकर डर, शर्म और झिझक के भाव महसूस करती हैं, यहां तक कि वो शादी के बाद अपने पार्टनर से भी इसपर खुलकर बात करने से कतराती हैं, जिस वजह से वो कभी अपने विचार, अपना एक्सपीरियंस और अपने दिल की बातों को अपने पार्टनर के सामने नहीं रख पातीं।
सेक्स को लेकर शर्म क्यों?
इस शर्म की वजह क्या है?
बचपन से ही हमें यह सिखाया जाता है कि अच्छे घरों की लड़कियाँ सेक्स या शरीर से जुड़े विषयों पर बात नहीं करतीं। फिल्मों, किताबों, या यहां तक कि स्कूल की बायोलॉजी क्लास में भी इस विषय को या तो नजरअंदाज़ किया जाता है या गलत ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। जब शरीर, भावनाएं और जिज्ञासा अपने शिखर पर होती हैं, तब ये चुप्पी डर और भ्रम में बदल जाती है। यही डर आगे चलकर शादी, रिश्तों और यहां तक कि खुद की पहचान को भी प्रभावित करता है।
इससे जुड़ा डर कैसे असर डालता है?
सेक्स से जुड़ा डर सिर्फ मानसिक नहीं होता बल्कि यह शारीरिक और भावनात्मक रूप से भी असर डालता है। कई महिलाएं सोचती हैं कि क्या उन्हें दर्द होगा, क्या वे अपने पार्टनर की उम्मीदों पर खरी उतरेंगी। कुछ को डर लगता है कि वे प्रेग्नेंट न हो जाएं जबकि कुछ को लगता है कि अगर उन्होंने अपनी इच्छाओं को ज़ाहिर किया तो उन्हें जज किया जाएगा। और इस डर के चलते ही महिलाएं कभी अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पातीं और एक रिश्ते में होने के बाद भी कभी इस भाव को नहीं समझ पातीं।
इसपर बात करने की जरूरत क्यों है?
सेक्स केवल एक फिजिकल एक्टिविटी नहीं है बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक जुड़ाव का एक जरिया है। जब आप इसे लेकर असहज महसूस करती हैं और अपने पार्टनर से खुलकर बात तक नहीं कर पातीं तो यह आपकी मानसिक सेहत और रिश्तों पर भी गहरा असर डालने लगता है। सेक्स से जुड़ी बातों पर शर्म और डर महसूस करना महिलाओं की खुद की sexual needs और pleasure को भी दबा देता है।
अपनी बॉडी से दोस्ती करिए
महिलाएं अपने शरीर को ही शर्म का कारण मान लेती हैं और इसकी वजह यह है कि वो सोसायटी के प्रेशर में आ जाती हैं। उन्हें शुरू से ही केवल यह बताया जाता है कि उनका काम अपने पार्टनर को खुश करना है, ऐसे में उनके लिए sex का मतलब पार्टनरौर उसकी डिजायर ही रह जाता है। जिससे उन्हें खुद से ही दूरी महसूस होने लगती है। जब आप अपने शरीर को प्यार से अपनाना शुरू करती हैं तो आप उसमें होने वाली हर भावना और इच्छा को भी सम्मान देना सीखती हैं।
पार्टनर से खुलकर बात करें
जब हम सेक्स जैसे विषयों पर खुलकर बात करेंगे तभी यह डर और झिझक दूर हो पाएगी। चाहे महिलाओं के दोस्त हों, पार्टनर हो या करीबी, अगर आपको किसी से बात करने की ज़रूरत महसूस हो तो खुद को न रोकें। बात करने से न केवल तनाव कम होता है बल्कि समाधान के रास्ते भी खुलते हैं।
आप चाहें तो महिलाओं के लिए बने सुरक्षित ऑनलाइन फोरम्स या ग्रुप्स का हिस्सा बन सकती हैं, जहां महिलाएं बिना किसी जजमेंट के एक-दूसरे से अपनी समस्याएं साझा करती हैं। या फिर कुछ कम्युनिटी एप्स या पीरियड ट्रैकर ऐप्स जैसे 'flo' पर भी आपको खुलकर अपने शरीर, जरूरतों, सेक्स के बारे में बात करने का मौका मिलता है। आप इन्हें जरूरत इस्तेमाल करके देखें।