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क्यों अपने पिता से पीरियड्स की बातें करने में असहज महसूस करती हैं?
हमारे समाज में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी पितृसत्ता के शिकार हैं। अक्सर पिता चाहते होते हैं कि वे अपनी बेटियों और बच्चों के साथ नम्रता से पेश आएं लेकिन मर्दों का सख़ रहने वाली परिभाषाएं उन्हें बच्चों की ओर विनम्र नही बनने देती हैं।
दूसरा कारण होता है महिलाओं का ही महिलाओं को ये बताना कि वे पीरियड्स के दौरान impure होती हैं और उनके पीरियड्स उनका निजी मामला होता है। इसके बारे में उन्हें किसी से बात नहीं करनी चाहिए।
तीसरा कारण होता है पीरियड्स को लेकर बहुत सारे अंधविश्वासों को मानना। जो बच्चियां पीरियड्स की शुरुआत में होती हैं उनकी माएं उन्हें बताती हैं कि पीरियड्स के बारे में किसी से बात करने से उन्हें नजर लग सकती है या बुरा साया उनके सिर आ सकता है।
क्या पिता से पीरियड्स की बातें करना गलत होता हैं?
एक पिता को हमेशा ये समझना चाहिए कि उनकी बेटियां जब भी बड़ी होंगी, पीरियड्स को जरूर फेस करेंगी। ऐसे में कभी किन्हीं परिस्थितियों में मां के ना होने के कारण अगर बच्ची को कोई मदद की जरूरत हो तो उसके पिता उसकी मदद कर सकें।
इसके साथ ही पीरियड्स की बातें खुल कर करने से इस पर लगे टैबू को भी हटाया जा सकता है। पीरियड्स के बारे में घर के बेटों को भी उतनी ही जानकारी देनी चाहिए जितनी बेटी को दी जाती है। इससे वे लड़कियों की तरफ थोड़ा ज्यादा संवेदनशील बनेंगे और हर चीज को acche se समझेंगे।