मिसकैरिज किसी महिला के पेट में ही बच्चा मर जाने को कहते हैं। इसके कारण अलग अलग हो सकते हैं।
हमारे समाज में मिसकैरेज होने को औरत का ही दोष माना जाता है। बच्चा गिर जाने के बाद उसे एक अपराधी की तरह देखा जाता है। लेकिन मिसकैरेज तो नाम से ही अपना मतलब समझा देता है। इसका मतलब अपने आप किसी परेशानी से बच्चे का मर जाना होता है। लेकिन फिर भी उस महिला को गलत नजरिए से क्यों देखा जाता है? आखिर यह उसका दोष तो नहीं है।
एक बच्चे को 9 महीने अपने पेट में रखना बहुत बड़ी बात है। यह करने के लिए बड़ा दिल चाहिए जो सिर्फ एक मां के पास होता है। अपने दिल के टुकड़े को गवाने पर सबसे ज्यादा दुख मां को ही होता है। लेकिन लोग तो उन्हें सांत्वना देने के बजाय उन्हें ही दोषी ठहरा देते हैं। यह बिल्कुल गलत है। मिसकैरिज होने के बाद दूसरी महिलाएं अपने बच्चों को उस महिला के पास तक नहीं जाने देती। वे उसके लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हैं।
वे उसे मनहूस जैसे अपशब्दों से बुलाते हैं। उस औरत को दुनिया द्वारा गंदा और पापी समझ लिया जाता है। लेकिन इसमें गलत क्या है? एक बच्चे की जान तो किसी भी वजह से जा सकती है। कोई वर्किंग वूमेन अगर मिसकैरिज के बाद अपने काम पर वापस जाती है तो उसे लोग घूर घूर के देखते हैं। वो उसे निर्दयी बुलाते हैं। उसपर काला जादू करने का आरोप लगाते हैं। लेकिन यह सब किस हद तक सही है?
मिसकैरिज होना आम बात है और यह किसी महिला के कैरक्टर को जज नहीं करता है। लेकिन कानून भी जब समाज के साथ मिल जाए तो क्या करें। अमेरिका में कुछ वक्त के लिए एक कानून आया था जिसमें मिसकैरिज होने पर महिला को जेल में डालने की सजा दी जाती थीं।
एक महिला को अपनी जिंदगी आज़ादी और स्वाभिमान के सात जीने का पूरा अधिकार है। ऐसे में उसके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार करना गलत होगा। लेकिन लोग इस बात को समझना नहीं चाहते हैं। वे औरत के कैरेक्टर को जज करने के बहाने ढूंढते हैं। और किसी भी झूठे आरोप के चलते उसे बदनाम करने की कौशिश करते हैं।
ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं अपना साहस बनाएं रखें। उनके पति और परिवार को भी इस कठिन समय में उनका सहारा बनना चाहिए ना कि उसकी मुश्किलें बढ़ानी चाहिए। कानून द्वारा उन लोगों को सजा दी जानी चाहिए जो औरतों को लज्जित करते हैं।