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टीनेज प्रेगनेंसी का बढ़ता स्तर
आपको जानकर हैरानी होगी कि 2015 - 2016 नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार 15 से 19 वर्ष कि 7.8% महिलाएं या तो प्रेगनंटी हैं या माँ बन चुकी हैं। इसके अलावा यह रिपोर्ट ये भी कहती है कि भारत में हर वर्ष 6% एडल्ट पापुलेशन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीसेस से प्रभावित होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में कंट्रासेप्शन और सेफ सेक्स के बारें में जानकारी हासिल करना मुश्किल है।
भारत में तो लड़कियों को सेक्स के बारें में तब तक नहीं बताया जाता जब तक उनकी शादी न हो गयी हो। माता पिता को अक्सर लगता है कि बेटियों के साथ सेक्स पर चर्चा करने से वो बिगड़ सकती हैं जो परिवार कि इज़्ज़त के लिए अच्छा नहीं है।
कंसेंट का अर्थ और अहमियत
सेक्स एजुकेशन (sex education hindi) न होने के कारण हमारी यूथ अक्सर कंसेंट के कांसेप्ट को नहीं समझ पाती जिससे अक्सर उनके रिश्तों के साथ साथ उनका भविष्य भी ख़राब हो जाता है। लड़कों और लड़कियों दोनों को अपने शरीर से परिचित होने का पूरा हक़ है। यदि ऐसा न हो तो वो दुसरे के शरीर और भावनाओं का सम्मान कैसे करेंगे ?
मानसिक स्वास्थय के लिए ज़रूरी
हमारी सेक्सुएलिटी हमारे व्यक्तित्व का एक बहुत अहम हिस्सा होता है । जब अपनी सेक्सुअलिटी के बारें में कैसा सोचते और महसूस करते हैं इससे हमारा सेल्फ - कांसेप्ट बिल्ड होता है। यदि यह जागरुकता हममें न हो तो इससे हमारे मानसिक स्वास्थय पर बहुत बुरा असर पड़ता है और हम सदा उलझन में रहते हैं जब ऐसा होता है तो बहुत से बच्चे अपने प्रश्नो के जवाब ढूंढने के लिए पोर्नोग्राफी (pornography) का सहारा लेते हैं जो बिलकुल उचित नहीं है ।
भारत में तो लड़कियों को सेक्स के बारें में तब तक नहीं बताया जाता जब तक उनकी शादी न हो गयी हो। माता पिता को अक्सर लगता है कि बेटियों के साथ सेक्स पर चर्चा करने से वो बिगड़ सकती हैं जो परिवार कि इज़्ज़त के लिए अच्छा नहीं है।
इसलिए दोस्तों सेक्स के बारे में पूछे जाने पर हमें अपने बच्चों को डांटना नहीं चाहिए बल्कि उनके सवालों का ठीक से और सही सही जवाब देना चाहिए ताकि वो अपने दिमाग में सेक्स के बारें में एक हैल्दी कांसेप्ट बिल्ड करें , दुसरे लिंग का सम्मान करें और कंसेंट की अहमियत समझें.