Advertisment

सपनों की डगर : उम्र मायने नहीं रखता

author-image
Swati Bundela
New Update
एक कहानी 40 साल की महिला के अपने पैरों पर खड़े होने की और अपने सपने पूरे करने के शुरुआत की।
Advertisment


सपने तो हर इंसान देखता है पर हर किसी का सपना पूरा हो जाए ऐसा मुमकिन नहीं। कुछ ऐसा ही सोचा था मैंने अपने जीवन के अधिकतर साल, लेकिन मेरी सोच बदली कुछ दिनों पहले जब मेरी बेटी ने मेरे मन में अपने सपने को पूरा करने की उम्मीद को फिर से जिंदा कर दिया। आइए देखते हैं वो कहानी जिसमें एक मन से हार चुकी 40 वर्ष की महिला अपने सपनों को पूरा करने के लिए उड़ान भरती है।
Advertisment


मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं और मेरी शादी मात्र 17 साल की उम्र में हो गई थी। शादी के 6 साल बाद मैंने अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू की। लेकिन मैं अपनी जिम्मेदारियों में कुछ इस कदर फंस गई कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। किसी तरह से मैंने 2010 में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई पूरी की। मैं हमेशा सोचती कि मेरा भी करियर हो, मैं भी स्वावलंबी बनूं, पर मैं कुछ कर नही पाई। धीरे-धीरे मेरे दोनों बच्चे बड़े हो गए और अच्छे कॉलेज में पढ़ाई करने लगे, मैं बहुत खुश थी उनके लिए। परिवार की ज़िम्मेदारी तो नहीं घटी लेकिन हां फिर भी बच्चों को अच्छा करता देख मैं राहत में थी। लेकिन तभी मेरी बेटी की तबीयत खराब रहने लगी और मैं उसके साथ ही दिल्ली में रहने लगी ताकि अपनी बच्ची को देख सकूं।
Advertisment


मेरी बेटी मेरे सपने के बारे में जानती थी और चाहती थी कि मैं कुछ करूं। इसी सिलसिले में वह मेरे लिए कंटेंट राइटिंग में करियर ढूंढने लगी क्योंकि मुझे लिखना पसंद था। शीदपीपल ने मुझे वो प्लेटफॉर्म दिया जहां से मैंने अपने जीवन के सबसे खूबसूरत रास्ते पर चलना शुरू किया। मुझे शीदपीपल में काम करना बहुत ही अच्छा लगा और मैं अभी भी उनके साथ इंटर्नशिप कर रही हूं। 40 साल की हो जाने के बाद मैं अपने लिए कुछ कर पा रही हूं। कितनी अजीब और आश्चर्य की बात है कि आधी ज़िंदगी खत्म होने के बाद मैं शुरू कर रही हूं अपना कैरियर और लोग कहते हैं कि उम्र निकल जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता। मेरे आर्टिकल्स छपे तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने सोचा नहीं था कि अब मैं कुछ कर पाऊंगी मैं बहुत निराश हो चुकी थी। ऐसे में इंटर्नशिप मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने अपनी जीवन की नई शुरुआत की हो।
Advertisment


अब जाने जीवन की डगर पर मैं और कितने काम करूंगी जो मुझे भी खुशी दे, जाने और कितनी उड़ाने भरूंगी। और मेरी कहानी से एक बार फिर मेरा विश्वास पक्का हो गया कि महिलाएं महिलाओं की दुश्मन नहीं बल्कि विकास की साथी होती हैं।
इंस्पिरेशन
Advertisment