Ganesh Chaturthi 2022 : गणेश जी की प्रतिमा की सूंड किस तरफ होनी चाहिए?

author-image
Vaishali Garg
New Update
Ganesh Chaturthi 2022

Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार , भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन विधिवत तरीके से भगवान गणेश को स्थापित किया जाता है।

Ganesh Chaturthi 2022: कब है गणेश चतुर्थी?

Advertisment

इस वर्ष गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 को मनाया जायेगा, इसी कारण इस दिन को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही अगले 10 दिनों तक भक्तगण भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते है। इसके बाद धूमधाम से विदा करते हुए जल में प्रवाहित कर देते।

Ganesh Chaturthi 2022: किस ओर हो गणेश जी माहाराज की सूंड की प्रतिमा

भगवान गणेश जी माहाराज की स्थापना से पहले जान ले किस ओर हो गणेश जी माहाराज की सूंड का अग्रभाव दाई ओर य़ा बाईं ओर जानते हैं पंडित राजा सचदेवा क्या कहते हैं इस विषय में।

जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ दाईं ओर हो, उसे दक्षिण मूर्ति या दक्षिणाभिमुखी मूर्ति कहते हैं। यहां दक्षिण का अर्थ है दक्षिण दिशा या दाईं बाजू। दक्षिण दिशा यमलोक की ओर ले जाने वाली व दाईं बाजू सूर्य नाड़ी की है। जो यमलोक की दिशा का सामना कर सकता है, वह शक्तिशाली होता है व जिसकी सूर्य नाड़ी कार्यरत है, वह तेजस्वी भी होता है।

Advertisment

इन दोनों अर्थों से दाईं सूंड वाले गणपति को ' जागृत माना जाता है। ऐसी मूर्ति की पूजा में कर्मकांड अंतर्गत पूजा विधि के सर्व नियमों का यथार्थ पालन करना आवश्यक है। उससे सात्विकता बढ़ती है व दक्षिण दिशा से प्रसारित होने वाली रज लहरियों से कष्ट नहीं होता। दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा सामान्य पद्धति से नहीं की जाती , क्योंकि तिर्य्क ( रज ) लहरियां दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण दिशा में यमलोक है , जहां पाप - पुण्य का हिसाब रखा जाता है। इसलिए यह बाजू अप्रिय है। यदि दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें या सोते समय दक्षिण की ओर पैर रखें तो जैसी अनुभूति मृत्यु के पश्चात अथवा मृत्यु पूर्व जीवित अवस्था में होती है , वैसी ही स्थिति दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा करने से होने लगती है। विधि विधान से पूजन ना होने पर यह श्री गणेश रुष्ट हो जाते हैं।

जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ बाईं ओर हो , उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। बाई ओर चंद्र नाड़ी होती है। यह शीतलता प्रदान करती है एवं उत्तर दिशा अध्यात्म के लिए पूरक है , आनंददायक है। इसलिए पूजा में अधिकतर वाममुखी गणपति की मूर्ति रखी जाती है। इसकी पूजा प्रायिक पद्धति से की जाती है। इन गणेश जी को गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना गया है। इन्हें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं लगती। यह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं। त्रुटियों पर क्षमा करते हैं।

भगवान गणेश Ganesh Chaturthi 2022 31 अगस्त 2022