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Shardiya Navratri 2023 : जानिए नवरात्रि से जुड़े कुछ तथ्य

पौराणिक हो या वैज्ञानिक सभी क्षेत्र में नवरात्रि की अलग मान्यता एवं महानता समझाई गई है नवरात्रि में व्रत नवरात्रि की पौराणिक कथा नवरात्रि में 16 श्रृंगार नवरात्रि में गरबा एवं उत्सव की अलग ही महानता एवं मान्यता है।

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STP HINDI TEAM
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Shardiya Navratri 2023(Unsplash)

Image Credit: Unsplash

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि महिलाओं का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है जो की 9 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें व्रत कन्या पूजन मां नौदुर्गा आराधना आदि धार्मिक कार्य किए जाते हैं। जानते हैं नवरात्रि के कुछ तथ्य के बारे में पौराणिक हो या वैज्ञानिक सभी क्षेत्र में नवरात्रि की अलग मान्यता एवं महानता समझाई गई है नवरात्रि में व्रत नवरात्रि की पौराणिक कथा नवरात्रि में 16 श्रृंगार नवरात्रि में गरबा एवं उत्सव की अलग ही महानता एवं मान्यता है।

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जानें नवरात्रि से जुड़े कुछ तथ्य

नवरात्रि में व्रत का महत्व

नवरात्रि के दौरान व्रत के धार्मिक महत्व तो सभी जानते हैं लोग नवरात्रि के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए व्रत पूजा पाठ आदि धार्मिक कार्य करते हैं जिससे माता रानी की कृपा होती है एवं मनोकामना पूर्ण होती है यह तो धार्मिक पहलू था नवरात्रि के दौरान व्रत रखने का वैज्ञानिक पहलू भी है वह है कि नवरात्रि का उत्सव हम मानते हैं इस अवधि में ऋतु का बदलाव होता है इस वजह से हल्का पंचक भजन करने पर ध्यान दिया जाता है ताकि पाचन क्रिया सुचारू रूप से चलती रहे एवं शरीर को ऊर्जा भी मिले इसलिए इस अवधि में व्रत रखने से हमारे शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए वक्त मिलता है एवं हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उत्तम होती है नवरात्रि के दौरान तामसिक प्रवृत्ति का भोजन भी वर्जित है प्याज लहसुन मांसाहारी भोजन आदि करने से हमारी इम्यूनिटी पर फर्क पड़ता है एवं पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है इसलिए नवरात्रि के दौरान धार्मिक व वैज्ञानिक अभी तथ्य नवरात्रि पर व्रत रखने की सलाह देते हैं।

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथा जो बताती है नवरात्रि क्यों मनाते हैं नवरात्रि के नौ दिनों को दर्शाती है ऐसी तीन कथाएं हैं इसमें से एक कथा है महिषासुर मर्दिनी नवरात्रि से जुड़ी इस कथा के अनुसार:

माता का जन्म 

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जब मां एक महिषी रूपी असुर अर्थात महिषासुर का नाश करती है। कथा के अनुसार महिषासुर ने अपने ध्यान से देवताओं को प्रसन्न किया एवं उनसे अजय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था उसने चालाकी से यह वरदान प्राप्त किया । वह सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी का महान भक्त था वह देवताओं पर आधिपत्य जमाना चाहता था एवं स्वर्ग लोक पर राज्य करना चाहता था उसने अजय होने का वरदान प्राप्त करने के बाद इंद्रलोक स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया एवं सभी देवताओं को पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए मजबूर कर दिया।

यह सब देखकर भगवान विष्णु ब्रह्मा शिव जी को क्रोध आ गया जिसके कारण एक महान तेज प्रकट हुआ देवताओं के शरीर से भी एक तेजो में शक्ति मिलकर उसे तेज में एक जाकर हो गई यह तेजो में शक्ति एक विशाल पहाड़ के समान थी उसकी ज्वालाएं दसों दिशाओं में फैल रही थी एवं उसकी स्वरूप भी अलग था और यह स्वरूप था महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा का जो महिषासुर के अंत के लिए प्रकट हुई थी

शक्ती का स्वरुप 

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 मां दुर्गा में सभी देवताओं की शक्ति थी भगवान शिव का त्रिशूल विष्णु जी का चक्र एवं समस्त देवी देवताओं के अनेक प्रकार के अस्त्र-शास्त्र माता को दिए इंद्र ने अपना वज्र एवं ऐरावत देवी मां को दिया सूर्य देवता अपना तेज एक ढाल के स्वरूप में माता को समर्पित किया तब माता एक विशालकाय भुजाओं वाली और अस्त्र-शस्त्र से संचित होकर शेर पर बैठकर आसुर के युद्ध के लिए महिषासुर के सामने गई यह देखकर महिषासुर ने अपने सेनापति को आगे बढ़कर मां से युद्ध करने को कहा हजार राक्षसों को लेकर इस युद्ध में वह कूद पड़ा महानू नामक दैत्य करोड़ सैनिकों के साथ मां से युद्ध कर मुक्ति को प्राप्त हुआ। आसुरो के सभी अस्त्र-शस्त्र मां के सामने तिनके के सामान बिखेर कर रह गए इस युद्ध में महिषासुर का नाश हुआ साथी अन्य भी मारे गए।

महिषासुर मर्दिनी

राक्षसों का आतंक जो तीनों लोकों में फैला हुआ था वह सब शांत हुआ एवं महिषासुर मर्दिनी माता का एक नया नाम हुआ और यह युद्ध 9 दिन तक चला दसवें दिन माता को विजय प्राप्त हुई इसलिए नवरात्रि 9 दिन की धूमधाम से मनाई जाती हैं ।

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