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पाँच बातें जो मैंने गर्ल्स कॉलेज में सीखी

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Swati Bundela
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“गर्ल्स कॉलेज” – इन दों शब्दों के साथ कई विचार जुड़े होते है I कुछ सहीं है, बाकी केवल भ्रम. किसी और कॉलेज की तरह यह भी साधारण ही होता हैं I हाँ, यहाँ लड़के नहीं पढ़ते, पर वे वोर्क्शोप्स और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए सदेव आमंत्रित हैं. मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती हूँ और बताना चाहतीं हूँ कि मैंने यहाँ आकर क्या सीखा.

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1.आत्मनिर्भर होना

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सार्वजनिक वाहनों से कॉलेज आते समय कभी ऐसा व्यक्ति मिल जाते है जिनका उद्देश्य चोरी करना या लड़की छेड़ना होता है. ऐसे समय में उन्हें नज़र अंदाज़ करने का या पलटकर जवाब देने का निर्णय हमारे हाथों में होता है.  हम दूसरी प्रतिक्रिया को चुनते है ताकि किसी और को यह ना सहना पड़े. यहाँ आकर समझ आता है कि ज़िंदगी के कितने फ़ैसले हम अंजाने में दूसरों पर निर्भर रहते है.

कॉलेज के तीसरे या चौथे साल के बाद आत्मविश्वासी स्त्रीं उभरकर आतीं है जिसमे अपने और दूसरों के हक के लिए लड़ने की क्षमता होती है I मुझे गर्व है गर्ल्स कॉलेज की छात्रा होने का.

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2.संवेदनशील और सहायक बनना

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‘लडकियाँ तो बस लड़ती रहतीं हैं’- यह हमारे समाज का भ्रम हैं जिसे मुझे तोड़ते हुए प्रसंता हो रही है I गर्ल्स कॉलेज एक ऐसा स्थान हैं जहाँ लडकियाँ अपनी दिल की बात बिना किसी के द्वारा आँकें जाने के डर से कह सकतीं हैं. यहाँ हमें एक-दुसरे के हालात और उनका नज़रिया समझने का मौका मिलता है जिसे हम चर्चा, वाद-विवाद, आदि के रूप में उपयोग करते है.



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3. हाँ, हम फेमिनिस्ट हैं 



यह स्थान हमें सुरक्षित माहोल देता हैं जहाँ हम महिलाओं और पुरोषों से जुड़े मुद्दों को गहराई से लेते हैं I हाँ, हम फेमिनिस्ट है और पितृसत्ता की संस्था से लड़ते है, पुरोषों के नहीं ! हम समझते है कि ‘मर्द को भी दर्द होता है’ I यहाँ से हमें गलत के खिलाफ लड़ने की आवाज़ और हिम्मत मिलती है I
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4.स्वयं को स्वीकारना
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टी.वी., पोस्टर्स, पर्दे के बाहर की दुनिया का सच हम सभी लडकियाँ जानती हैं और अपनें को अपनाना भीI जब मैं कॉलेगे कंपाउंड में हर लड़की को अपनी खूबियों व खामियों के साथ स्वीकृत देखती हूँ तो मुझे उन पर नाज़ होता है और वे मेरी प्रेरणा बनतीं हैं I यहाँ सभी अपनीं कमियों को समझने तथा बेहतर बनने की कोशिश साथ करते है I



5. अधिक भागीदारी



जब बात शिक्षा या एक्स्ट्रा करीकुलर गतिविधियों की आती हैं तो कुछ लडकियाँ शायद भूतकाल में अधिक अवसर ना मिलने पर या परिवार से ज्यादा प्रोत्साहन ना मिलने के कारण किसी गतिविधि में भागीदार होने में हिचकिचाती हैं; किन्तु कॉलेज में बाकी लड़कियों को देखकर उन्हें आगे बढ़कर कुछ नया करने की उत्सुकता होती हैं जिसकी वजह से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है.  अगर उन्हें फिर भी हिचकिचाहट हों तो उनकीं सहायता के लिए बाकी लडकियाँ हमेशा तत्पर होती है I मैंने इस कॉलेज में “एकता” अर्थ समझा है.



गर्ल्स कॉलेज एक ऐसा स्थान हैं जहाँ एक पौधा हौसले, भूलों, दोस्तीं, विवादों,एकता से गुज़रते हुए पेड़ का रूप लेता है I कॉलेज के तीसरे या चौथे साल के बाद आत्मविश्वासी स्त्रीं उभरकर आतीं है जिसमे अपने और दूसरों के हक के लिए लड़ने की क्षमता होती है I मुझे गर्व है गर्ल्स कॉलेज की छात्रा होने का.
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