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समय बदल गया है। औरतें अब घर बाहर की दोहरी ज़िम्मेदारी निभा रही हैं। पुरुषों के कंधे से कंधा मिला के चल रही हैं। वो मां बनने के बाद भी बाहर काम करने जाती हैं ताकि कामकाजी माएं अपना और अपने बच्चे का भविष्य संवार सकें और स्वावलंबी बन सकें। अगर मां काम करे तो बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहता है। ऑफिस की टेंशन और घर की समस्याओं में वो इस कदर परेशान हो जाती हैं कि वो थोड़ी चिरचिरी भी ही जाती हैं। हमें उनसे प्यार से पेश आना चाहिए और कोई भी टेंशन देनेवाली बात नहीं करनी चाहिए।
खासकर कामकाजी मॉम्स से ये 5 बातें ना करें :-
पता नहीं आप कैसे कर लेती हैं, आपको गिल्ट महसूस नहीं होती?
हां, कामकाजी मॉम्स गिल्ट महसूस करती हैं, लेकिन वो अपने बच्चों के लिए उदाहरण बन रही होती हैं।वो अपने बच्चों को समझाना चाहती हैं कि जो इंसान खुद के लिए कुछ कर सकता है वही दूसरों को खुशी दे सकता है।
वाह! अपने बच्चों से ज़्यादा आपको आपका करियर प्यारा है
बहुत मुश्किल होता है किसी भी मां के लिए ये सुनना! अगर आप उनका साथ नहीं दे सकते तो कमसे कम उनका मनोबल तो ना गिराएं। काश कामकाजी मॉम्स के साहस, हिम्मत और धैर्य को लोग समझ सकते।
तुम अपने बच्चों को दूसरों के भरोसे पाल रहे हो
अगर देखा जाए तो जो औरतें बाहर काम नहीं करती वो भी अपने बच्चों को परिवार की मदद से ही पालती है, तो फिर कामकाजी महिला अपने बच्चों को दूसरे के मदद से क्यूं नहीं पाल सकती और वो भी तब जब उन पर दोहरी जिम्मेदारी हो। जब वो ऑफिस से थकी हारी आती हैं तो सबसे पहले अपने बच्चे को गले से लगाती हैं और अपने बच्चों की सारी ज़िम्मेदारियां निभाती हैं।
तुम अपने बच्चों से दूर कैसे रह लेती हो, तुम्हे उनकी याद नहीं आती?
क्या! भला किसी मां को अपने बच्चे से दूर रहना अच्छा लगता है? यह सवाल कि उन्हें अपने बच्चों की परवाह नहीं और उन्हें उनकी याद नहीं आती, उतनी ही बेबुनियाद है जितना कि किसी एक्सिडेंट से हुए अंधे आदमी से ये पूछना कि क्या तुम्हे रोशनी याद नहीं आती। मां अपने बच्चे से केवल उसकी भलाई के लिए ही दूर रहती है।
तुम्हारा पति तो इतना कमाता है, तुम्हे काम करने की क्या ज़रूरत है
अच्छा, तो अब हम ये सोच रहे हैं कि किसी और के सफल होने का मतलब है कि दूसरा व्यक्ति नाकारा हो जाए। औरतों का भी वजूद होता है। इस तरह के सवाल करके कृपया कर उनके वजूद पर ही सवाल ना उठाएं और उनके अस्तित्व का सम्मान करें। औरतों के भी सपने होते हैं, कुछ कर दिखाने की तमन्ना होती है। अपने परिवार में भागीदारी करना उनकी भी ज़िम्मेदारी और हक है।
अगर आप उनकी मदद नहीं कर सकते तो, उनपे इस तरह के कॉमेंट्स भी ना करें और ये सोचें कि यदि आप उनकी जगह होते, तो आप उनकी तरह बखूबी दोहरी जिम्मेवारी निभा पाते। दूर से देख कर कहना बहुत आसान होता है। आपको तो उनका हौसला बढ़ाने चाहिए। तो आइए आज से हम कोशिश करें कि वर्किंग मॉम्स के लिए चीजें आसान बनाएं ना कि मुश्किल। दुनिया को हम एक ऐसी जगह बनाएं जहां दूसरों की इच्छाओं और फैसलों को सम्मान दें और उनके रास्ते का रोड़ा ना बनकर उनका सहारा बनें, तभी होगी दुनिया बेहतर। वर्किंग मॉम्स को सलाम है जो खुद को भी महत्व देना जानती हैं और अपने बच्चों को भी।
खासकर कामकाजी मॉम्स से ये 5 बातें ना करें :-
पता नहीं आप कैसे कर लेती हैं, आपको गिल्ट महसूस नहीं होती?
हां, कामकाजी मॉम्स गिल्ट महसूस करती हैं, लेकिन वो अपने बच्चों के लिए उदाहरण बन रही होती हैं।वो अपने बच्चों को समझाना चाहती हैं कि जो इंसान खुद के लिए कुछ कर सकता है वही दूसरों को खुशी दे सकता है।
वाह! अपने बच्चों से ज़्यादा आपको आपका करियर प्यारा है
बहुत मुश्किल होता है किसी भी मां के लिए ये सुनना! अगर आप उनका साथ नहीं दे सकते तो कमसे कम उनका मनोबल तो ना गिराएं। काश कामकाजी मॉम्स के साहस, हिम्मत और धैर्य को लोग समझ सकते।
तुम अपने बच्चों को दूसरों के भरोसे पाल रहे हो
अगर देखा जाए तो जो औरतें बाहर काम नहीं करती वो भी अपने बच्चों को परिवार की मदद से ही पालती है, तो फिर कामकाजी महिला अपने बच्चों को दूसरे के मदद से क्यूं नहीं पाल सकती और वो भी तब जब उन पर दोहरी जिम्मेदारी हो। जब वो ऑफिस से थकी हारी आती हैं तो सबसे पहले अपने बच्चे को गले से लगाती हैं और अपने बच्चों की सारी ज़िम्मेदारियां निभाती हैं।
तुम अपने बच्चों से दूर कैसे रह लेती हो, तुम्हे उनकी याद नहीं आती?
क्या! भला किसी मां को अपने बच्चे से दूर रहना अच्छा लगता है? यह सवाल कि उन्हें अपने बच्चों की परवाह नहीं और उन्हें उनकी याद नहीं आती, उतनी ही बेबुनियाद है जितना कि किसी एक्सिडेंट से हुए अंधे आदमी से ये पूछना कि क्या तुम्हे रोशनी याद नहीं आती। मां अपने बच्चे से केवल उसकी भलाई के लिए ही दूर रहती है।
तुम्हारा पति तो इतना कमाता है, तुम्हे काम करने की क्या ज़रूरत है
अच्छा, तो अब हम ये सोच रहे हैं कि किसी और के सफल होने का मतलब है कि दूसरा व्यक्ति नाकारा हो जाए। औरतों का भी वजूद होता है। इस तरह के सवाल करके कृपया कर उनके वजूद पर ही सवाल ना उठाएं और उनके अस्तित्व का सम्मान करें। औरतों के भी सपने होते हैं, कुछ कर दिखाने की तमन्ना होती है। अपने परिवार में भागीदारी करना उनकी भी ज़िम्मेदारी और हक है।
अगर आप उनकी मदद नहीं कर सकते तो, उनपे इस तरह के कॉमेंट्स भी ना करें और ये सोचें कि यदि आप उनकी जगह होते, तो आप उनकी तरह बखूबी दोहरी जिम्मेवारी निभा पाते। दूर से देख कर कहना बहुत आसान होता है। आपको तो उनका हौसला बढ़ाने चाहिए। तो आइए आज से हम कोशिश करें कि वर्किंग मॉम्स के लिए चीजें आसान बनाएं ना कि मुश्किल। दुनिया को हम एक ऐसी जगह बनाएं जहां दूसरों की इच्छाओं और फैसलों को सम्मान दें और उनके रास्ते का रोड़ा ना बनकर उनका सहारा बनें, तभी होगी दुनिया बेहतर। वर्किंग मॉम्स को सलाम है जो खुद को भी महत्व देना जानती हैं और अपने बच्चों को भी।