Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार , भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 को मनाया जायेगा, इसी कारण इस दिन को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही अगले 10 दिनों तक भक्तगण भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते है। इसके बाद धूमधाम से विदा करते हुए जल में प्रवाहित कर देते।
Ganesh Chaturthi 2022: 5 उपाय कर्ज मुक्ति के लिए
गणपती पूजन के 10 दिन बहुत शुभ माने जाते हैं , गणेश जी सुख सम्पती धन वैभव खुशहाली के आगमन का प्रतिक माने जाते है। आइए आज के इस ब्लॉग में देखते हैं कर्ज मुक्ति के लिए 5 उपाय पंडित राजा सचदेवा जी के द्वारा-
- कर्ज बहुत ज्यादा हो बड़ता जा रहा हो तो गणेश चतुर्थी के दिन गजेन्द्र मोक्ष का पाठ ज़रूर करें, कर्ज धीरे धीरे ऊतरने लग जायेगा।
- गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी को लाल पुष्पों की माला अर्पित करें।
- गणेश जी को चांदी का चकोर तूकडा स्पर्श करा कर अपने पर्स में रखें।
- गणेश जी को तिल से बने ल्ड्डू चडाये कर्ज कम होने लगेगा।
- भगवान गणेश जी को शमी का पोधा अत्यंत प्रिय है आप अपने घर में शमी का पोधा लगाये गणेश चतुर्थी के दिन और उसकी रोजाना सेवा करें।
Ganesh Chaturthi 2022: शुभ मुहूर्त, मूर्ति स्थापना और विसर्जन का समय
गणेश चतुर्थी 2022: 31 अगस्त, 2022 (बुधवार) मध्याह्न
गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक
अवधि: 2 घंटे 33 मिनट
चतुर्थी तिथि शुरू: 30 अगस्त 2022 को दोपहर 3:33 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 31 अगस्त, 2022 को अपराह्न 03:22
गणेश विसर्जन: 9 सितंबर, 2022 (शुक्रवार)
Ganesh Chaturthi 2022: इस साल ना पहुंचाएं पर्यावरण को कोई नुकसान
इस बार P.O.P से बनी मूर्ति कि जगह मिट्टी के गणपति को घर बुलाएं। मिट्टी पानी में जाते ही घुल जाती है और इससे नदी या उसके जीव को कोई नुकसान नहीं पहुँचता। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कई बार दूकानदार पीओपी की मूर्ति को मिट्टी की बता कर आपको चकमा दे सकता है। इसलिए इस बात का ध्यान दें कि आप मिट्टी के ही गणेश जी अपने घर पर लेकर आएंगे।
गणेश जी को पूजन में भूल कर भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी ने तुलसी जी का विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। जिसके बाद तुलसी जी ने गणेश जी को दो विवाह का श्राप दिया था, तो वहीं गणेश जी ने तुलसी जी का विवाह एक राक्षस के साथ होने का श्राप दिया। इसके बाद गणेश पूजन में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है।