Ganpati Visarjan 2022: गणेश चतुर्थी के अवसर पर, भक्त समृद्ध और अच्छे भविष्य के लिए भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन, स्थापना के लिए भगवान गणेश की मूर्तियों को घर लाया जाता है और लोग 10 दिनों तक पूजा अर्चना करते हैं। विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी समारोह का समापन मिट्टी के गणपति जी की मूर्ति के पानी में विसर्जन के साथ होता है। भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्थी तिथि, गणपति विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन।
Ganpati Visarjan 2022: कैसे करें गणेश जी का विसर्जन
गणपति विसर्जन का पवित्र दिन बहुत खुशी और भव्यता के साथ मनाया जाता है क्योंकि भक्तों ने अगले साल लौटने के वादे के साथ भगवान गणेश को विदाई देते हैं। मूर्ति का जुलूस बहुत ही हर्षोल्लास, धूमधाम और भव्यता के साथ निकाला जाता है। भगवान गणेश की मूर्तियों को उनके पूजा स्थल से विसर्जन स्थल तक नृत्य और रंगों से खेलते हुए ले जाया जाता है। भक्त मूर्तियों को जल में विसर्जित करते हैं। पर्यावरणीय चिंताओं के कारण, आजकल गणेश की मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित किया जा रहा है।
Ganpati Visarjan 2022: गणेश विसर्जन मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022
प्रातः मुहूर्त - 9 सितंबर , प्रातः 06 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त - 9 सितंबर , शाम 05 बजे से 06 बजकर 34 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त - 9 सितंबर , दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 52 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त - 9 सितंबर , 9 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक
Ganpati Visarjan 2022: गणेश जी के 12 नाम
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि हम दिन में एक बार भी गणेश जी के 12 नाम जपे तो हमारे बहुत से कष्ट दूर हो जाते हैं, तो आइए जानते हैं कौन से गणेश जी के बारह नाम।
1. सुमुख ( सुन्दर मुख वाले )
2. एकदन्त ( एक दांत वाले )
3. कपिल ( कपिल वर्ण के )
4. गजकर्ण ( हाथी के कान वाले )
5. लम्बोदर ( लम्बे पेट वाले )
6. विकट ( विपत्ति का नाश करने वाले
7. विनायक ( न्याय करने वाले )
8. धूम्रकेतु ( धुये के रंग वाली पताका वाले )
9. गणाध्यक्ष ( गुणों के अध्यक्ष )
10. भालचन्द्र ( मस्तक में चन्द्रमा धारण करने वाले
11. गजानन ( हाथी के समान मुख वाले )
12. विघ्रनाशन ( विघ्नों को हरने वाले )
गणेश जी की जन्म कथा
शिवपुराण अनुसार भगवान श्री गणेश जी माहाराज के जन्म लेकर एक कथा है, इस कथा अनुसार, माता पार्वती ने एकबार अपने शरीर पर मैल हटाने के लिए हल्दी और चन्दन का ऊबटन लगाती थी। इसके बाद जब उन्होंने हल्दी और चन्दन का उबटन उतारा तो उससे एक पुतला बना दिया और फिर उसमें प्राण डाल दिए और प्राण डालते ही उस पुतले ने एक बहुत सुंदर और दिव्य बच्चे का रूप ले लिया और उसकी उत्पत्ती से सब जगह खुशाली आ गई और सब जगह शुभता बड गयी और सभी देवी देवता माँ पार्वती के पुत्र से मिलने आये और माँ पार्वती ने सभी देवी देवतायों के सामने उनका नाम विनायक रखा।