Advertisment

Gender Neutral Uniform: जेंडर न्यूट्रल यूनिफार्म और इसके फायदे

author-image
Monika Pundir
New Update

जेंडर न्यूट्रल यूनिफार्म काफी समय से चर्चा में है। कुछ लोग इसके सपोर्ट में हैं, और कुछ कहते हैं कि यह करना ज़रूरी नहीं। यह मुद्दा फिरसे चर्चा में आया जब मुंबई में आदित्य बिड़ला वर्ल्ड एकेडमी ने आने वाले अकादमिक वर्ष में जेंडर न्यूट्रल यूनिफार्म को स्वीकृति देने की योजना की खबर आयी है।

Advertisment

आदित्य बिरला वर्ल्ड एकेडमी एक को-एड स्कूल है, यानि इसमें लड़के और लड़किया साथ पढ़ते हैं। इस स्कूल ने यूनिफार्म के 3 विकल्प दिए हैं: स्कर्ट, पैंट या स्कॉर्ट (स्कर्ट और शॉर्ट्स का मिलन)। पहले भी कई स्कूल में जेंडर नयुट्राल यूनिफार्म के रूप में सरे छात्र को पंत पहने क्के नियम बने हैं, मगर इस स्कूल में ज़रूरी एवं ख़ास बात यह है की छात्र के जन्म के समय का लिंग, और उसके यूनिफार्म के चॉइस से कोई रिश्ता नहीं है। स्कूल ने निर्णय लिया है की अगर एक लड़का स्कर्ट या स्कॉर्ट पेहेनना चाहे, उस पर कोई रोक नहीं होगी।

जेंडर न्यूट्रल यूनिफार्म किसके लिए लाभदायक है?

इस नए नियम से सभी छात्र को फ़ायदा है। 

Advertisment

1. लड़की: कई लड़कियों को स्कर्ट पेहेनना पसंद नहीं। यह उनकी अपनी चॉइस है। पर फिर भी स्कूल जाते समय उन्हें अपनी चॉइस भूल कर स्कर्ट ही पहनना पड़ता था। यह उन लड़कियों के लिए फायदेमंद है। लड़की क स्कर्ट की लम्बाई पर हर समय सवाल उठते हैं। ख़ास कर कोएड स्कूल में, जहां उन्हें लड़को को “डिस्ट्रेक्ट” के इलज़ाम का सामना करना पड़ता है। एवं स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं। लड़का या लड़की, वे बच्चे  होते है। उनका पढाई या खेल कूद में ज़्यादा मन लगा हुआ रहता है, नाकि उनके कपड़ो पे। स्कॉर्ट या पैन्ट्स पहनने से लड़कियों को भी अपने कपड़ों पर ध्यान देने से छुटकारा मिलेगा।

2. ट्रांस जेंडर बच्चे: कई बार इंसान की “जेंडर आइडेंटिटी”, यानि वह किस लिंग से खुदको जोड़ता है, वह उसके शारीरिक     फीचर्स से अलग होता है। हो सकता है की किसी के शारीरिक फीचर्स जैसे की दाढ़ी देखके हमें लगे की वह लड़का है, पर असलियत में वह लड़की या औरत होने से पहचान करता हो। 

ऐसे लोगों के लिए कपड़े बहुत अहम होते हैं क्योंकि उन्हें कपड़ों का उनके आईडेन्टिटी से बहुत गहरा रिश्ता महसूस होता है। कपड़े का चॉइस न होना ऐसे बच्चों के लिए डिप्रेशन और जेंडर डिस्फोरिअ का कारण बन सकता है।

3. लड़के: कई बार सिस-गेदर्ड लड़कों को भी स्कर्ट, फ्रॉक, साड़ी जैसी चीज़े पहनना पसंद होता है, और उन्हें कम्फर्टेबल लगता है। ऐसे बच्चों को भी जेंडर न्यूट्रल कपड़े कम्फर्टेबल लग सकती हैं।

जेंडर न्यूट्रल यूनिफार्म होने से बच्चों को इन्क्लुदेद महसूस होता है। यह ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए सबसे लाभदायक है मगर इससे हर छात्र के दिमाग पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। वे आपस में भेदभाव भूल जाते हैं। वे सीखते हैं की समाज के नियम और स्टेरेओटाइप से ज़्यादा निजी कम्फर्ट और ख़ुशी महत्वपूर्ण है। यह केवल कपड़ो के लिए लागु नहीं है बल्कि करिअर चॉइस, शादी करने या न करने का फैसला, और ऐसी अन्य चीज़े जो हम खुद से ज़्यादा समाज का सोच क्र फैसला लेते हैं, उन सब पर लागु होता है।

यूनिफार्म
Advertisment