हर साल दिवाली के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। लेकिन इस बार कई वर्षों बाद ऐसा नहीं हो रहा है। दिवाली के बाद सूर्य ग्रहण होने के कारण बहुत वर्षों बाद गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के एक दिन बाद नहीं मनाया जा रहा है।दिवाली के बाद मनाते हैं गोवर्धन पूजा-
हर साल दिवाली के त्यौहार के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को बहुत से हिस्सों में 'अन्नकूट' के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस साल दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा नहीं मनाई जा रही है। इस साल 25 अक्टूबर के बजाय गोवर्धन पूजा का पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के पर्व पर भगवान श्री कृष्ण, गायों और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का अगर भोग लगाते हैं तो यह बहुत शुभ होता है। भगवान श्री कृष्ण को लगाए जाने वाले पकवानों का भोग को 'अन्नकूट' कहा जाता है।
इस साल गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
इस साल गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद ना होकर 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसी दिन भाई दूज का त्यौहार भी मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी और 26 अक्टूबर तक रहेगी। यह समय 25 अक्टूबर से शाम 4 बजकर 18 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 26 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। गोवर्धन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त करीब 2 घंटे 14 मिनट तक रहेगा। यह शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय में की जाती है। इस दिन गोबर से गोवर्धन जी को लेटे हुए पुरूष के रूप में बनाया जाता है और उन्हे फूलों से सजाया जाता है। उनकी नाभि की जगह पर एक मिट्टी का दिया भी लगाया जाता है। जिसमें दूध, गंगाजल, दही, बताशे, शहद आदि पूजा करते समय रखें जाते हैं और बाद में इन्हें प्रसाद के रूप में सबको बांट दिया जाता हैं। गोवर्धन पूजा के दिन कृषि में काम आने वाले जानवर जैसे गाय, बैल आदि को भी पूजा जाता है। पूजा करते समय गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं की जाती हैं। इस दौरान हाथों में जल का लोटा लेकर जल गिराते हुए और जौ बोते हुए सात परिक्रमाएं पूरी करते हैं। लोगों का विश्वास है कि भगवान गोवर्धन की पूजा करने से धन व संतान की प्राप्ति होती है और गौ रस में बढ़ोतरी होती है।