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Holika Dahan 2024 : रंगों का त्योहार होली (Holi) आने से पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। जलती हुई होलिका की लपटें न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं, बल्कि खुशियों और उम्मीदों को भी जगाती हैं। आइए, आज हम होलिका दहन से जुड़ी कुछ अनोखी बातों के बारे में जानते हैं, जो इसे और भी खास बना देती हैं।
जानिए होलिका दहन से जुड़ी 10 बातें
- होलिका दहन की कहानी भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट मौसी होलिका से जुड़ी है। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को आग में डालकर मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन होलिका खुद आग में जल गई और प्रह्लाद बच गए। यही कारण है कि होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है।
- होलिका दहन का पर्व हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन शुभ मुहूर्त में होलिका जलाना और पूजा करना विशेष फलदायक माना जाता है।
- होलिका दहन से पहले लोग लकड़ी, उपले और गोबर के उपले इकट्ठा करते हैं।पूजा के समय, इन चीजों को एकत्र करके होलिका का ढेर तैयार किया जाता है। फिर पूजा की जाती है और शुभ मुहूर्त में होलिका में आग लगाई जाती है।
- होलिका दहन की अग्नि में लोग नारियल, धान, तिल, गुड़ आदि चीजें आहुति के रूप में देते हैं। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी शक्तियां दूर होती हैं।
- होलिका दहन के दिन कई लोग पारंपरिक व्यंजनों का भोग लगाते हैं।इसमें पूरनपोली, दही-बड़े, गुझिया आदि शामिल हैं। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि त्योहार के उत्साह को भी बढ़ाते हैं।
- होलिका दहन के अगले दिन धुलंडी का पर्व मनाया जाता है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं।
- होलिका दहन में जलाए जाने वाली लकड़ी से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए लोग सूखी पत्तियों और उपले का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, होली के रंगों को प्राकृतिक रूप से तैयार करना भी पर्यावरण के लिए लाभदायक होता है।
- होलिका दहन को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, पंजाब में इसे होला कहते हैं, वहीं गुजरात में इसे धुंडी के नाम से जाना जाता है। हर जगह की अपनी अनोखी परंपराएं होली के पर्व को और भी रंगीन बनाती हैं।
- होलिका दहन का पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि घृणा और ईर्ष्या जैसी भावनाओं को त्याग कर हमें प्रेम और सद्भाव के साथ रहना चाहिए।
- होलिका दहन की जलती हुई अग्नि हमें यह संदेश देती है कि हमें अपने अंदर की बुराईयों को जलाकर सकारात्मकता का रास्ता अपनाना चाहिए।