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जानिए Hostel life हमें क्या कुछ सिखाती है

हॉस्टल में रहना जितना कठिन सुनने में लगता है उतना ही बेहतर अद्भुत कभी ना भूलने वाला यह अनुभव होता है, छात्रावास जीवन अद्भुत है। यहां पर रहते हुए हमें जीवन की बड़ी से बड़ी शिक्षाएं सरल रूप में सीखने मिल जाती हैं। आईए जानते हैं इस ब्लॉग में अधिक।

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STP HINDI TEAM
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Image Credit: Unsplash

Hostel Life Is A Teacher: हॉस्टल में रहना जितना कठिन सुनने में लगता है उतना ही बेहतर अद्भुत कभी ना भूलने वाला यह अनुभव होता है छात्रावास जीवन अद्भुत है यहां पर रहते हुए हमें जीवन की बड़ी से बड़ी शिक्षाएं सरल रूप में सीखने मिल जाती हैं और यही शिक्षाएं हमारे जीवन को महान बनआती है 

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आईए जानते हैं हॉस्टल लाइफ हमें क्या सिखाती है

1.सख्त नियमों ने सिखाया अनुशासन

सख्त नियमों ने सिखा दिया अनुशासन छात्रावास में रहने वाले छात्रों को हॉस्टल में रूल्स और रेगुलेशंस की एक लंबी लिस्ट होती है। और उसे लिस्ट को सभी को पालन करना पड़ता है नहीं तो फिर वार्डन का सामना करना पड़ता है इन्हें अनुशासन नियम की सूची के बीच में छात्रों का जीवन मस्ती में चलता है क्योंकि धीरे-धीरे यही नीति नियम छात्रों की आदत में आ जाते हैं और वह अनुशासित हो जाते हैं शुरू-शुरू में यह नियम कानून थोड़े मुश्किल लगते हैं।

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छत्रावास में रहने वाली बच्चियों लड़कियां सोचती हैं कि कैसे नियम बनाए हैं। इनका कोई अर्थ भी है फिर धीरे-धीरे इन नियम कानून का उन्हें अर्थ समझ आता है और यह उन्हें अनुशासन अनुशासित बनाने में बहुत गहरा असर छोड़ता है।

2. स्वयं की जिम्मेदारियां

हम जब घर पर रहते हैं तो हमारे माता-पिता हमारे लिए तत्पर खड़े रहते हैं और हमारे सारे कार्य करते हैं एवं हमारे कार्यों में मदद करते हैं वह हमें किसी भी चीज के लिए परेशान नहीं होने देते सभी कार्य हमारे लिए करते हैं। और हमारी खुशी का ध्यान रखते हैं। लेकिन जब हॉस्टल में आते हैं तो ऐसा कुछ नहीं होता शुरुआत में तो ऐसा लगता है कि अब बस इधर से निकाल कर घर जाना है हॉस्टल में रहने पर पता चलता है कि हमारी जिम्मेदारियां हमें ही निभाई है एवं नियमों के साथ निभाई है।

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स्वयं से स्वयं की जिम्मेदारी का आभास एक स्टूडेंट को हॉस्टल में जल्द ही हो जाता है की के अब उसे स्वयं के कपड़े स्वयं के सामानों का एवं किताबों का भोजन का स्वयं ही ख्याल रखना है और हर कार्य जिम्मेदारी से करना है।

3.समय का मोल 

जब हम घर पर रहते हैं तो हमें अपने हिसाब से भोजन प्राप्त हो जाता है हमारी मां हम जब कहते हैं। हमें खाना लाकर अपनी मनपसंद का दे देती है हमारे कपड़े स्वयं ही वह साफ करके दे देती है हमें अपने कार्यों को करने के लिए हमारी मां हमेशा साथ रहती है मगर हॉस्टल में ऐसा नहीं होता हॉस्टल में तो हर कार्य के पीछे एक अवधि चलती है हर कार्य का समय होता है और उसे समय का हमें ध्यान रखना होता है भोजन का अलग समय अगर सुबह जल्दी नहीं जागे तो नाश्ता नहीं मिलेगा समय के साथ हर हॉस्टलर यह बात समझ जाती है कि समय की कीमत क्या है सबसे पहले तो हॉस्टल में आने जाने का समय निश्चित कर दिया जाता है।

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अगर लेट हो गए तो घर पर कॉल लगाया जाता है फिर अंदर लिया जाता है। इस बात का भी अलग मजा है क्योंकि अगर किसी कार्य के लिए निश्चित समय नहीं होगा तो उसे जल्दी करने का उत्साह नहीं होगा जल्दी दौड़ कर हॉस्टल तक आना जल्दी से खाने की लाइन में लग जाना उठकर सबसे पहले नहाने जाना नहीं तो लाइन लग जाती है। हॉस्टल में वॉशरूम के बाहर इन सब का अलग ही मजा है हॉस्टलर्स बीच में तो रेस लगाती है कि कौन जल्दी नहा कर आएगा और जो लास्ट आएगा वह तो कॉलेज में भी लेट होजाएगा 

3.दोस्तों में परिवार

शुरू शुरू में जब घर को छोड़कर हॉस्टल जाते हैं तुम अपने माता-पिता घर परिवार को बहुत याद करते हैं और हॉस्टल में ढालने की कोशिश करते हैं और यूं ही ढलते ढलते कब कौन हमारा परिवार बन जाता है हमें ही नहीं पता होता वह दोस्त जिसे तो हम लड़ते थे जो हमें बिल्कुल पसंद नहीं आते थे वही हमारे रात में माता-पिता की याद आने पर आंसू पहुंचने हैं ऐसा होता है हॉस्टल का माहौल दोस्तों में परिवार ढूंढ लिया जाता है और इनके लिए जिया जाता है।

हॉस्टल में जो दोस्त बनते हैं वह उम्रभर याद रहते हैं क्योंकि हॉस्टल में अनेक समस्याओं के बीच में यही तो हमारे सपोर्ट सिस्टम बनते है।

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