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Self love Photograph: (Freepik)
पुराने समय में जब महिलाएँ केवल घर के कामों में व्यस्त रहती थीं, तब भी वे अपने लिए कुछ समय निकाल लेती थीं। लेकिन आज की कामकाजी महिलाएँ घर और दफ़्तर के बीच फँसकर रह जाती हैं और अपने लिए समय निकालना जैसे भूल ही गई हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि महिलाएँ अपनी सेहत और संतुलन के लिए कुछ पल सिर्फ़ अपने लिए ज़रूर निकालें।
Self Care: भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद के लिए समय कैसे निकालें महिलाएं
1. समय का सही प्रबंधन (Time Management)
अपने समय का सही प्रबंधन करना सबसे ज़रूरी है। कोशिश करें कि दिनचर्या इस तरह बनाएँ कि कुछ पल सिर्फ़ अपने साथ बिता सकें। इस दौरान आप Meditation, व्यायाम या Morning walk जैसी activities कर सकती हैं।
2. प्राथमिकताएँ (Priorities) तय करें
किसी भी काम को शुरू करने से पहले उसकी प्राथमिकता तय करें। कौन-सा काम सबसे ज़रूरी है, यह स्पष्ट करें ताकि अनावश्यक बोझ महसूस न हो। दिन की शुरुआत में ही अपनी सूची बना लें और ज़रूरी काम पहले निपटाएँ।
3. Break लेना सीखें
चाहे घर का काम हो या ऑफ़िस का, बीच-बीच में छोटे ब्रेक लेना शुरू करें। इससे आप अपनी ऊर्जा बनाए रखेंगी और काम भी उबाऊ नहीं लगेगा।
4. Hobbies को समय दें
अपने शौक को समय दें। यह आपको खुद से जोड़े रखेगा और अंदर से संतुष्टि व खुशी भी देगा।
5. Health पर ध्यान दें
अक्सर पूरे घर की ज़िम्मेदारी महिला पर होती है, इसलिए मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद ज़रूरी है। अपनी उम्र और ज़रूरत के अनुसार संतुलित आहार लें और रोज़ाना कम से कम 15–20 मिनट योग, व्यायाम या मेडिटेशन में लगाएँ।
6. Digital Detox करें
आज के डिजिटल युग में न केवल शरीर बल्कि मन को भी डिटॉक्स करने की ज़रूरत है। इसलिए स्क्रीन टाइम पर ध्यान दें और ज़रूरत पड़ने पर उसे सीमित करें। यह न सिर्फ़ आपका समय बचाएगा बल्कि आपको बेफिज़ूल की जानकारियों से भी दूर रखेगा।
7. ज़िम्मेदारियाँ बाँटें
अगर आपको लगता है घर का काम बहुत ज़्यादा है, तो परिवार के सदस्यों से मदद लें। घर आपसी सहयोग से ही चलता है, इसलिए मदद माँगने में झिझकें नहीं।
8. ‘ना’ कहना सीखें
ज़रूरत पड़ने पर ‘ना’ कहना सीखें। हर बार सबके लिए ‘हाँ’ कहना ज़रूरी नहीं। कभी-कभी ‘ना’ कहकर भी आप अपना समय और ऊर्जा बचा सकती हैं।
9. अपने आप से भावनात्मक रूप से जुड़ें
जब आप अकेले में समय बिताती हैं तो अपने भीतर झाँक पाती हैं। आप चाहें तो डायरी लिखना शुरू करें, जिसमें दिनभर का अनुभव और भावनाएँ दर्ज करें। इससे आप अपनी भावनाओं को बेहतर समझ सकेंगी और उन पर काम भी कर पाएँगी।