Kanchan Agrawat Dance Journey : कंचन अग्रवाल, एक ऐसी कलाकार जिन्होंने सामाजिक दबावों और आलोचनाओं का सामना करते हुए भी अपने सपने को पूरा किया। उन्होंने हाल ही में shethepeople को दिए इंटरव्यू में बताया कि किस तरह उन्होंने हार नहीं मानी और ना सिर्फ खुद को बल्कि खासकर महिलाओं को अपने जुनून को पाने के लिए प्रेरित किया।
कंचन अग्रवाल की नृत्य यात्रा: विपरीत परिस्थितियों को मात देती कहानी
नृत्य के प्रति जुनून और शुरुआती रुकावटें
जोधपुर की रहने वाली कंचन को नृत्य विरासत में अपने पिता से मिली। मगर, सामाजिक तौर पर नृत्य को प्रोत्साहन न मिलने और 15 साल की उम्र में पिता के निधन के कारण उन्हें अपना जुनून त्यागना पड़ा। शादी और पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें एक बार फिर नृत्य के प्रति प्रेम जगा। परिवार के रूढ़िवादी विचारों और अपने स्वभाव के कारण वह अकेले कमरे में ही नाच पाती थीं।
टिकटॉक पर मिली पहचान और फिर...
कंचन को असली सफलता टिकटॉक पर मिली, जहाँ उनके डांस विडियो वायरल हुए और उन्हें खूब सराहना मिली। हालाँकि, भारत में टिकटॉक बैन होने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जुनून को बचाए रखने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया।
आलोचनाओं का सामना करते हुए आगे बढ़ती रहीं कंचन
SheThePeople से बातचीत में कांचन अग्रवाल ने बताया कि किस तरह आलोचनाओं और संदेहों का सामना करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह आज 39 साल की उम्र में कृतज्ञता के साथ अपने सफर को याद करती हैं। उन्होंने हर मुश्किल को पार करते हुए अपने सपने को पूरा करने का साहस दिखाया।
आज 39 साल की उम्र में कंचन अपनी इस यात्रा को शुक्रगुज़ार होकर देखती हैं। शुरुआती डर के बावजूद उन्होंने हिम्मत दिखाकर अपने सपने का पीछा किया। उनका संदेश उन सभी महिलाओं के लिए है जो समाज के डर से अपने सपनों को दबा लेती हैं। कंचन कहती हैं, "चाहे जो भी हो आपको जो पसंद है, उसे करने से पीछे मत हटो।"