lohri 2023: वैसे तो अब लोहड़ी त्योहार हर कोई मना रहा है, लोहड़ी का त्यौहार पंजाबी समुदाय में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी शब्द में 'ल' का मतलब 'लकड़ी', 'ओह' से गोहा यानी 'जलते हुए सूखे उपले' और 'ड़ी' का मतलब 'रेवड़ी' से है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले पड़ता है। इस पर्व को सफलतापूर्वक फसल पूरी होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। यही कारण है इसे सुख और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। पंजाबी किसान परिवार रबी फसल की कटाई और आने वाली फसल की बुवाई की ख़ुशी में इसे मनाते हैं।
क्या होता है लोहड़ी पर्व के दिन
लोहड़ी त्यौहार की 14-15 दिन पहले से ही झलक दिख जाती है। त्यौहार की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। इस दिन बच्चे और बूढ़े सभी पंजाबी लोकगीत गाते आग के किनारे घूम-घूमकर मक्का, मूंगफली, रेवड़ियाँ, तिल डालते हैं। सभी लोग “लोहड़ी दी लख लख बाधाइयां” के संदेश देते हैं। एक दूसरे के घर जाकर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। लोग ढोल-नगाड़े बजाकर इस आनंद के उत्सव को मनाते हैं। सुख-समृद्धि के प्रतीक इस त्यौहार में बच्चों को मिठाइयां और पैसे दिए जाते हैं।
लोहड़ी के त्यौहार में मेले लगने से बच्चों में बहुत हर्षोल्लास होता है। अन्य समुदायों से आने वाले बच्चों और बड़ों को भी पंजाबी समुदाय और उसकी संस्कृति का परिचय मिलता है। भांगड़ा नृत्य को करते हुए पंजाबी समुदाय समां बांध देता है। जगह-जगह दान-पुण्य होता है। हर तरफ़ पंजाबी गीतों की धुन सुनाई देती है।
सबसे लंबी रात है लोहड़ी की
एकता की प्रतीक इस त्यौहार में रात सबसे लंबी होती है। दूसरे दिन मकर संक्रांति मनाया जाता है। कहा जाता है मकर संक्रांति के दिन से फिर दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। सुख समृद्धि के प्रतीक लोहड़ी त्यौहार में मक्के की रोटी और चने का साग खाया जाता है। इसके साथ ही परिवार में तिल, मूंगफली और मक्के से बने पकवान बनाए जाते हैं। एक दूसरे को मिठाई बांटी जाती है।