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1. इक्वलिटी का एक्चुअल मतलब समझें
इस बात को समझें की इक्वलिटी का मतलब आइडेंटिकल नहीं होता है। जब एक लड़की इक्वलिटी की गुहार लगाती है तो उसका मतलब ये नहीं है की वो अपने आपको लड़कों के आइडेंटिकल बता रही है। लड़का और लड़की बियोलॉजिकली कभी एक सामान नहीं हो सकते क्योंकि प्रकृति ने उनका वैसे सृजन नहीं किया है। इक्वलिटी का मतलब है सोशल, इकोनोमिकल और वर्बल आज़ादी जो हर लड़की का राइट भी है।
2. बेटों के प्रति प्रेफरेंस को ख़तम करें
हमारी सोसाइटी में बेटों को कुलदीपक माना जाता है और बेटियों को सारी ज़िन्दगी दूसरे घर जाने के लिए तैयार किया जाता है। इस सोच में बदलाव की बहुत ज़रूरत है। जब हम हर चीज़ में अपने बेटों को प्रेफरेंस देना बंद करेंगे तब ही सही मायने में इक्वलिटी कायम होगी। ये बहुत ज़रूरी है की हम अपने बेटे और बेटियों में फर्क करना बंद कर दें और दोनों को बराबरी का दर्जा दें।
3. बाल विवाह को बंद करें
एक लड़की की इक्वलिटी के सबसे बड़ा हनन है उसकी मर्ज़ी के बिना उसकी शादी करवा देना। खास कर तब जब ये उसके बचपन में हो तो ये सबसे बड़ा गुनाह है। अगर हम सच में एक इक्वल समाज चाहते हैं तो हमें हर लड़की के साथ हो रहे ज़बरदस्ती को रोकना होगा और उसे पढ़ाई करने की आज़ादी प्रोवाइड करनी होगी।
4. हर जगह महिलाओं के पॉपुलेशन में करें वृद्धि
किसी भी ऑफिस या सरकारी संस्था में जब मेल और फीमेल रेश्यो में बराबरी आएगी तभी सही मायने में इक्वलिटी प्राप्त होगी। फिर चाहे वो प्राइवेट सेक्टर हो या पब्लिक महिलाओं के रिप्रजेंटेशन में बढ़ोतरी बहुत ज़रूरी है। इसका सीधा संपर्क समाज की उस रूढ़िवादी सोच से है की लड़कियां ज़्यादा रिपॉन्सिबिलिटी का काम नहीं कर सकती हैं और इसलिए वो कोई भी हाई ऑफिस की हक़दार नहीं है।
5. पीरियड इक्वलिटी भी है ज़रूरी
पीरियड्स एक बहुत ही नेचुरल प्रोसेस है और इसके लिए एक लड़की को शेम करना बिलकुल गलत है। पीरियड्स में सही हाइजीन की एक्सेस हर लड़की का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसलिए एक समाज के नाते ये बहुत ज़रूरी है की हम हर लड़की को पीरियड्स में सब कुछ प्रोवाइड करें। किसी भी लड़की को उसके पीरियड्स के कारण किसी अवसर से वंचित नहीं होना चाहिए। इसलिए पीरियड इक्वलिटी ज़रूरी है।