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आजकल हम बच्चों को बचपन से ही कुछ इस तरीके की आदत डालते हैं कि वो खुद की ख़ुशी के लिए भी दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। बच्चों का दिमाग मोम की तरह नाजुक होता है। बच्चों को खुश रहना सिखाने के लिए जरुरी है की उनके पेरेंट्स या कोई बड़ा उनके दिमाग को सही आकार दे। ज्यादातर बच्चे बड़ों से और आस पास के माहौल को देख कर उसी के हिसाब से अपनी मेंटेलिटी तैयार कर लेते हैं। लाइफ में दुःख सुख तो आते जाते रहते हैं पर बड़े सिखा सकतें हैं बच्चों को हर सिचुएशन में खुश रहना। खुद से खुश
ज़िन्दगी में सुख और दुःख तो आम बात होती है पर अगर इंसान हर परिस्तिथि में खुद को पॉजिटिव खुश रहना सीख ले तो उस व्यक्ति की आधी परेशानियां कम हो जातीं हैं। बच्चों को खुश रहना सिखाने के लिए परिस्तिथि चाहें कैसी भी हो उस का नेगेटिव साइड को हमेशा स्ट्रेंग्थ के जैसे देखना चाइए।
जब सेल्फ-कंट्रोल से माइंड स्ट्रांग हो जाएगा उसके बाद जरुरत होती है इमोशनली स्ट्रांग बनने की। हम इंसानों के कई रिश्ते और सम्बंद होतें हैं और ज्यादातर लोग इसलिए दुखी होतें हैं क्योंकि कभी उन के पेरेंट्स के साथ दिक्कतें होतीं हैं कभी दोस्तों के साथ तो कभी लाइफ पार्टनर के साथ। इन सबको लेकर अगर माइंड स्ट्रांग रहे तो कम परेशानी होती है और इंसान हैप्पी यानि खुश और स्ट्रांग रहता है।
ग्रटिटूड मतलब होता है आभार व्यक्त करने वाला व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति जिसमे घमंड न हो और जो दरों को नीचे न दिखाता हो। बच्चों को हर चीज़के लिये थैंकफुल होना सिखाएं उन्हें बताएं की गॉड को हर रोज कैसे थैंक करें इस सुन्दर लाइफ को देने केलिए।
बच्चों को खुद पर सेल्फ-कंट्रोल रखना सिखाना एक अच्छी व्यक्तित्व का साइन होता है। अगर बच्चो को अपने ऊपर सेल्फ-कंट्रोल आजाएगा तो वो हर सिचुएशन मे शांति से सोल्यूशन निकाल सकेंगे। इस से फ्यूचर मे हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेंशन भी कम होगा।
1. पॉजिटिव सोच रखें
ज़िन्दगी में सुख और दुःख तो आम बात होती है पर अगर इंसान हर परिस्तिथि में खुद को पॉजिटिव खुश रहना सीख ले तो उस व्यक्ति की आधी परेशानियां कम हो जातीं हैं। बच्चों को खुश रहना सिखाने के लिए परिस्तिथि चाहें कैसी भी हो उस का नेगेटिव साइड को हमेशा स्ट्रेंग्थ के जैसे देखना चाइए।
2. मन से स्ट्रांग बनें
जब सेल्फ-कंट्रोल से माइंड स्ट्रांग हो जाएगा उसके बाद जरुरत होती है इमोशनली स्ट्रांग बनने की। हम इंसानों के कई रिश्ते और सम्बंद होतें हैं और ज्यादातर लोग इसलिए दुखी होतें हैं क्योंकि कभी उन के पेरेंट्स के साथ दिक्कतें होतीं हैं कभी दोस्तों के साथ तो कभी लाइफ पार्टनर के साथ। इन सबको लेकर अगर माइंड स्ट्रांग रहे तो कम परेशानी होती है और इंसान हैप्पी यानि खुश और स्ट्रांग रहता है।
3. हमेशा ग्रेटफुल रहना जरुरी है
ग्रटिटूड मतलब होता है आभार व्यक्त करने वाला व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति जिसमे घमंड न हो और जो दरों को नीचे न दिखाता हो। बच्चों को हर चीज़के लिये थैंकफुल होना सिखाएं उन्हें बताएं की गॉड को हर रोज कैसे थैंक करें इस सुन्दर लाइफ को देने केलिए।
4. खुद पर नियंत्रण रखें
बच्चों को खुद पर सेल्फ-कंट्रोल रखना सिखाना एक अच्छी व्यक्तित्व का साइन होता है। अगर बच्चो को अपने ऊपर सेल्फ-कंट्रोल आजाएगा तो वो हर सिचुएशन मे शांति से सोल्यूशन निकाल सकेंगे। इस से फ्यूचर मे हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेंशन भी कम होगा।