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कैसे एक ज़िम्मेदार नेटिजन बनें !

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Swati Bundela
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आजकल पूर्णतया “सोशल मीडिया” का ज़माना है। लोग भले की यह कहें की वह अपने काम में उलझें हैं, लेकिन सामान्य रूप से सोशल मीडिया में काफी समय व्यतीत करते हैं । जब आप एक ऐसे माध्यम में हैं जहाँ से खबरें बहुत ही जल्दी पंहुचती हैं, उसी माध्यम से काफी ज़िम्मेदारियाँ भी जुड़ी होतीं हैं । आएं चर्चा करें सोशल मीडिया से जुड़ी कुछ ऐसे पहलुओं की जिससे हम एक ज़िम्मेदार नेटिजन कैसे बन सकतें हैं ।
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१. सबसे पहली महत्वपूर्ण बात यह है की जब भी कोई लेखन (आर्टिकल) या वीडियो आप पढ़ें तो उसे शेयर करने से पहले एक बार ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें, और अपनी राये ज़रूर दें, चाहे आप उस लेखन से सहमत को या न हों।

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२. यदि आप किसी भी खबर से सहमत नहीं हैं, तो बहुत ही कठोर शब्दों का इस्तेमाल न करें ताकि बाकी नेटिज़ेंस  की भावनाओं को ठेस न पहुंचे । अपनी बात समझने का एक सही तरीका अपनाएं।

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३.अपनी सोच सकारात्मक रखते हुए अच्छे लेखन और वीडियोस ही शेयर करें।  जात-पात, धर्म, लिंग आदि से जुडी नकारात्मक सोच न प्रस्तुत करते हुए सही जानकारी और प्रेरणादायक वाले सन्देश ही भेजें ।


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४. अक्सर यह देखा गया है की हम अपनी और अपने परिवार जनों की तसवीरें  सोशल मीडिया में डालते हैं, इसमें कोई गलत बात नहीं है, लेकिन आप अपनी “प्राइवेसी सेटिंग्स” का भी ध्यान रखें ताकि कोई भी आपकी इन तस्वीरों का गलत इस्तेमाल न करे।

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५.सोशल मीडिया में झगडे काफी प्रचलित हैं, इन् झगड़ों का कोई अंत नहीं है, बेहतर यही है की आप इन विवादों में ज़्यादा न उलझें और अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ न करें।
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६. सोशल मीडिया के माध्यम से आप अपने व्यापार का प्रचार आसानी से कर सकतें हैं और कुछ ही समय में  अपने व्यापार के बारे में सम्बंधित जानकारी लाखों लोगों तक पंहुचा सकतें हैं। (बहुत जल्द हम व्यापार और सोशल मीडिया से जुडी बातों  पर एक ब्लॉग प्रस्तुत करेंगे) ।


७. सबसे ज़्यादा ध्यान देने वाली बात यह है की अगर आपको कोई भी व्यक्ति अनावश्यक रूप से सोशल मीडिया में परेशान करे तो उस व्यक्ति को ब्लॉक करें,  यदि फिर भी आपको परेशानी हो तो तुरंत उसकी रिपोर्ट करें।


८.अक्सर यह देखा गया है की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पे होने के कारण अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हो जाती है, आपके किसी भी तस्वीर या पोस्ट पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी हो तो इस बात को लेके निराश न हों, यह सिर्फ एक सोशल मीडिया है, आपके जीवन का अंत नहीं।


९. यदि आप किसी भी ग्रुप या इंसान को पसंद नहीं करते तो या किसी भी वजह से खुद को वहां जोड़ नहीं पाते तो उस ग्रुप को छोड़ दें या फिर अपना संपर्क (अनफॉलो) बंद कर दें।


१०. हो सके तो अपने सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम,ट्विटर इत्त्यादि) में ऑनलाइन होने का एक समय सार निश्चित कर दें।


याद रखिये की यह “सोशल मीडिया’ आपके काम अथवा जीवन का सिर्फ एक हिस्सा है, जीवन नहीं। लेकिन अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही तरीके से हो तो इसके फायदे भी बहुत हैं। इन्ही सही तरीकों को अपनाकर हम सोशल मीडिया का आनंद उठा सकतें हैं।


  कावेरी पुरन्धर शीदपीपल.टीवी के साथ आउटरीच सम्पादक हैं ।
#फेमिनिज्म
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