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इंसानों की ज़िंदगी में परिवार के साथ ही साथ दोस्तों का भी उतना ही महत्व है। दोस्त वो परिवार होते हैं जो हम खुद चुनते हैं। तो कौन हो सकता है दोस्त? क्या दोस्ती भी जेंडर देख के की जा सकती है?
कहते हैं दोस्त तब बनते हैं जब दो लोगों में किसी ना किसी प्रकार की समानता हो और वो दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकें। दोस्ती रंग, रूप, जाति, या आर्थिक स्थिति देख कर नहीं होती। दोस्ती एक पवित्र बंधन होता है जहां दो लोग एक दूसरे की खूबियों, कमियों और व्यवहार को समझते हैं और फिर भी साथ रहते हैं। इसीलिए दोस्तों को दूसरा परिवार कहा जाता है।
यह सब समझने के बाद एक बात तो पक्की है कि दोस्ती में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होता। तो क्या दो महिलाएं दोस्त हो सकती हैं? इस सवाल पर हम तब रुक जाते हैं जब दुनिया यह कहती रहती है कि औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं। यह कहना बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि इसके उलट हम ये देखते हैं कि महिलाओं का एक दूसरे के साथ कितना अच्छा और सच्चा नता होता है।
तो आइए जानते हैं क्या हैं वो खूबियां जो महिला के जीवन में महिला दोस्त के होने को पूरी तरह सही साबित करते हैं!
महिला दोस्त आपको पुरुष दोस्त से ज़्यादा समझ सकती हैं
महिला और पुरुष का दिमाग अलग तरीके से काम करता है। इसलिए एक महिला ही दूसरी महिला को बेहतर तरीके से समझ सकती है। कई बार जब हम ऐसी हरकतें कर रहे होते हैं जो पुरुषों को अजीब और बचकाना लगती हैं, तब महिला दोस्त आपको सपोर्ट करने के लिए तैयार रहती हैं और आपको बताती हैं कि आप अजीब हरकतें नहीं कर रहे बल्कि आप जैसा भी महसूस कर रहे हों वो जायज़ है। महिलाएं आपको आपके फीलिंग्स के लिए जज नहीं करतीं।
वो आपको कंफर्टेबल महसूस कराती हैं
आप जब अपनी महिला दोस्त के साथ होती हैं तब आप खुल कर चीजें शेयर कर सकती हैं, चाहे वो आपकी मेंटल हैल्थ के बारे में हो या शरीर के बारे में या कुछ भी और। कई दफा हम पुरुष दोस्तों से कुछ बातें नहीं कर पाते, ऐसे में महिला दोस्त हमारा सहारा बनती हैं। महिलाएं एक दूसरे की परेशानी को बेहतर समझती हैं क्योंकि वो खुद भी उससे गुज़र चुकी होती हैं। तो आप उनसे बिंदास बात कर सकते हैं।
ऐसा इमोशनल सपोर्ट जो कोई ना दे सके
ऐसा माना जाता है कि महिलाएं इमोशनली ज़्यादा सोचती हैं, चाहे इंसानों के बनाए सामाजिक ढांचे की वजह से या फिर जीव विज्ञान की वजह से। लोग समझते हैं कि यह महिलाओं कि कमजोरी है, पर सच तो ये है कि यही खूबी महिलाओं को बेहतर दोस्त बनाती हैं, यह उनकी शक्ति होती है। इसलिए आपके जीवन में जब आपको इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत हो तब महिला दोस्त ही है जो आपको सबसे अच्छी तरह से सपोर्ट करती हैं। यकीन मानिए आप अपनी दोस्त से बात कर सकती हैं बिना इस डर के की वो आपको समझेंगी नहीं।
दोस्ती, मज़बूती और सशक्तिकरण
महिलाओं से दोस्ती महिलाओं में मज़बूती लाती हैं क्योंकि एकता में बल होता है और इसलिए महिला सशक्तिकरण में इसका बहुमूल्य योगदान होता है। महिला के जीवन में महिला दोस्त का होना एक वरदान है।
कहते हैं दोस्त तब बनते हैं जब दो लोगों में किसी ना किसी प्रकार की समानता हो और वो दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकें। दोस्ती रंग, रूप, जाति, या आर्थिक स्थिति देख कर नहीं होती। दोस्ती एक पवित्र बंधन होता है जहां दो लोग एक दूसरे की खूबियों, कमियों और व्यवहार को समझते हैं और फिर भी साथ रहते हैं। इसीलिए दोस्तों को दूसरा परिवार कहा जाता है।
यह सब समझने के बाद एक बात तो पक्की है कि दोस्ती में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होता। तो क्या दो महिलाएं दोस्त हो सकती हैं? इस सवाल पर हम तब रुक जाते हैं जब दुनिया यह कहती रहती है कि औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं। यह कहना बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि इसके उलट हम ये देखते हैं कि महिलाओं का एक दूसरे के साथ कितना अच्छा और सच्चा नता होता है।
तो आइए जानते हैं क्या हैं वो खूबियां जो महिला के जीवन में महिला दोस्त के होने को पूरी तरह सही साबित करते हैं!
महिला दोस्त आपको पुरुष दोस्त से ज़्यादा समझ सकती हैं
महिला और पुरुष का दिमाग अलग तरीके से काम करता है। इसलिए एक महिला ही दूसरी महिला को बेहतर तरीके से समझ सकती है। कई बार जब हम ऐसी हरकतें कर रहे होते हैं जो पुरुषों को अजीब और बचकाना लगती हैं, तब महिला दोस्त आपको सपोर्ट करने के लिए तैयार रहती हैं और आपको बताती हैं कि आप अजीब हरकतें नहीं कर रहे बल्कि आप जैसा भी महसूस कर रहे हों वो जायज़ है। महिलाएं आपको आपके फीलिंग्स के लिए जज नहीं करतीं।
वो आपको कंफर्टेबल महसूस कराती हैं
आप जब अपनी महिला दोस्त के साथ होती हैं तब आप खुल कर चीजें शेयर कर सकती हैं, चाहे वो आपकी मेंटल हैल्थ के बारे में हो या शरीर के बारे में या कुछ भी और। कई दफा हम पुरुष दोस्तों से कुछ बातें नहीं कर पाते, ऐसे में महिला दोस्त हमारा सहारा बनती हैं। महिलाएं एक दूसरे की परेशानी को बेहतर समझती हैं क्योंकि वो खुद भी उससे गुज़र चुकी होती हैं। तो आप उनसे बिंदास बात कर सकते हैं।
ऐसा इमोशनल सपोर्ट जो कोई ना दे सके
ऐसा माना जाता है कि महिलाएं इमोशनली ज़्यादा सोचती हैं, चाहे इंसानों के बनाए सामाजिक ढांचे की वजह से या फिर जीव विज्ञान की वजह से। लोग समझते हैं कि यह महिलाओं कि कमजोरी है, पर सच तो ये है कि यही खूबी महिलाओं को बेहतर दोस्त बनाती हैं, यह उनकी शक्ति होती है। इसलिए आपके जीवन में जब आपको इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत हो तब महिला दोस्त ही है जो आपको सबसे अच्छी तरह से सपोर्ट करती हैं। यकीन मानिए आप अपनी दोस्त से बात कर सकती हैं बिना इस डर के की वो आपको समझेंगी नहीं।
दोस्ती, मज़बूती और सशक्तिकरण
महिलाओं से दोस्ती महिलाओं में मज़बूती लाती हैं क्योंकि एकता में बल होता है और इसलिए महिला सशक्तिकरण में इसका बहुमूल्य योगदान होता है। महिला के जीवन में महिला दोस्त का होना एक वरदान है।