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Teacher's Day 2021: बच्चो की ग्रोथ में क्यों ज़रूरी है एक टीचर का रोल?

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Swati Bundela
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Importance Of Teacher's Day: एक इंसान जो भी सीखता है उसके लिए मां बाप के बाद उनके गुरु उनके टीचर होते है। एक इंसान अपने टीचर को पूरी जिंदगी नही भूलता। चाहे कोई टीचर कितने भी सक्त हो लेकिन वो अपने विद्यार्थियों के अच्छे के लिए ही सोचते है। जानिए टीचर्स डे (Importance of teacher's day) का महत्व क्या होता है।

शिक्षक दिवस का इतिहास

साल 1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने थे। इसी साल जब 5 सितंबर को उनका जनम दिन था तो उनके दोस्तो ने और कुछ विद्यार्थियों ने उनका जनम दिन मनाने की मांग की। डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि ये उनके लिए बड़े सम्मान की बात होगी अगर उस दिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाए।

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उनके हिसाब से एक शिक्षक सबसे बुद्धिमान इंसान होता है क्योंकि वो अपने विद्यार्थी के भविष्य को बनाने में अपना जीवन निकलता है। इसलिए साल में एक दिन शिक्षको के नाम जरूरी होना चाहिए। इसके बाद हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के नाम से मनाया जाता है और शिक्षक दिवस का महत्व ( importance of teacher's day) बताया जाता है।

शिक्षक दिवस का महत्व (Importance Of Teacher's Day)

शिक्षक एक इंसान को सही गलत की पहचान करवाता है। जब एक इंसान पढ़ाई में अच्छा होने के साथी एक अच्छे चरित्र का इंसान बनता है तो उसका पूरा श्रेय उनके शिक्षक को जाता है। शिक्षक अपने विद्यार्थी का भविष्य बनाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। टीचर से सीखकर बच्चे बड़े होने के बाद डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट इस्त्यादि बनते है और अपना भविष्य रोशन करते है। लेकिन टीचर अपनी पूरी जिंदगी में हजारों बच्चो को पढ़ाकर उनकी जिंदगी रोशन करते है। इसलिए हर इंसान ने अपने शिक्षक का आदर करना चाहिए और उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए।

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इस तरह मनाया जाता है शिक्षक दिवस

हर साल 5 सितंबर को स्कूल में बच्चे अपने टीचर को विष करते है और हमेशा मदद के लिए उन्हें शुक्रिया कहते है। इसके साथ स्कूल और कॉलेज में प्रग्राम होता है जिसमे ड्रामा, डांस और टीचर्स डे के महत्व (Importance of teacher's day) के ऊपर बच्चे भाषण देते है। इसके साथ कई स्कूल में बच्चे खुद एक दो पीरियड के लिए टीचर बनकर बच्चो को पढ़ाते है। बच्चे अपने टीचर को तोहफे देते है या ग्रीटिंग कार्ड भी देते है।

जब हम स्कूल में थे तो हमारे टीचर का ज्यादा होमवर्क देने पर या पनिशमेंट देने पर गुस्सा करते थे। लें बड़े होने के आड़ हमे पता चल रहा है कि हमारे टीचर हमारे भले के लिए ही सब करते थे। स्कूल के दिन जब याद आते है तो टीचर कि याद जरूर आती है। 

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