Importance Of Women to be independent: आज कल के जनरेशन में सबको सेल्फ डिपेंडेंट होने का अधिकर है चाहें वो लड़का हो या लड़की। अब भी लोग महिलाओं को घर-गृहस्थी में लगा देना चाहते हैं। वह नहीं चाहते महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हों। हमेशा से महिलाओं को हर चीज में पीछे किया गया है। जब चाहे लोग महिलाओं को अपना लेते हैं, जब चाहे उनका तिरस्कार कर देते हैं। जब महिलाएं खुद के पैरो पर खड़ी नहीं होती, तब तक लोग उनको खरी-खोटी सुनाते रहते हैं। अगर महिला आत्मनिर्भर बनेंगे तो उससे महिलाओं के साथ-साथ समाज का भी विकास होगा। सेल्फ डिपेंडेंट होना बहुत आवश्यक है। चलिए जानते हैं सेल्फ डिपेंडेंट होना क्यों ज़रूरी है–
महिलाओं के लिए सेल्फ डिपेंड होना क्यों है ज़रूरी?
1. खुद की पहचान
जब एक लड़की का जन्म होता है तो उसकी पहचान उसके पिता से होती है और जब वह शादी करके किसी और के घर जाती है तो उसकी पहचान उसके पति से होती है। जीवन के इस पड़ाव के बीच वह अपनी पहचान बनाना भूल जाती है। खुद की पहचान बनाना बेहद आवश्यक है। उन्हें खुद के सपनों को भूलना नहीं चाहिए उसे पूरा कर अपनी एक नई पहचान बनानी चाहिए।
2. समाज में समानता
समाज को नई दिशा तब मिलेगी जब हर एक महिला आत्मनिर्भर होगी। अगर महिला खुद के पैरों पर खड़ी है, तो किसी का कोई हक नही उसका अपमान करने का। पुरुष और महिला एक समान होंगे तो आने वाली जेनरेशन कुशल होगी। समानता का मतलब है जो इज्ज़त पुरुषों को मिलेगी उतनी ही इज़्जत महिलाओं को भी मिलेगी।
3. आत्मसम्मान
जब महिला अपने खुद के पैरों पर खड़ी हो जाती है तो वो समाज में एक अलग स्थान हासिल कर लेती है। उनमें अलग - सा आत्मविश्वास और आत्मसम्मान आ जाता है। जिससे उनकी एक अलग पहचान बन जाती है। वो सर उठा कर समाज में चल सकती हैं। स्वयं की सीमा खुद निर्धारित करती हैं। खुद के फैसले लेना का उनको पूरा अधिकार रहता है।
4. फाइनेंसियल डिपेंडेंट
सेल्फ डिपेंडेंट होने का मतलब यह भी है की हम अपने खर्चों के लिए किसी पर निर्भर ना रहें। खुद के खर्चे उठाना हमारी जिम्मेदारी है। लोगों के ऊपर डिपेंड होने का मतलब है जिंदगी भर यह सुनते रह जाना की हम जी रहे है तो उनकी वजह से। उन्हें गलत साबित करना बहुत जरूरी है। अपने आत्मसम्मान की रक्षा करना हमारे हाथो में है ना कि दूसरों के।
5. परिवार पर प्रभाव
जब महिलाएं आत्मनिर्भर बन जाती हैं तो वह उनके परिवार पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। परिवार में उनकी हिस्सेदारी उतनी ही हो जाती है जितनी पुरुषों की होती है। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छी संस्कार दे सकती है। आत्मनिर्भर होने की वजह से स्त्रियां अपने परिवार में आर्थिक योगदान देने के लिए समर्थ हो जाती है।