Obsession With Fair Skin: भारतीय परिवारों को गोरे त्वचा से लगाव क्यों?

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Monika Pundir
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भारत एक ट्रॉपिकल देश है, इसलिए सूरज की तेज़ किरणे लगभग पूरे साल ही भारत में होती है। इस कारण भारत में रहने वाले लोग गहरे रंग के होते हैं। हमारे शरीर में मेलेनिन प्रोटीन होता है, जो हमारे त्वचा और बालों को रंग देता है। मेलेनिन का एक ज़रूरी काम है शरीर को सूरज के हानिकारक किरणों के शांति से बचाना। इसलिए ट्रॉपिकल एरिया जैसे भारत, दक्षिण एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमरीका जैसे जगहों में लोगों के त्वचा का रंग गहरा होता है।

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जब गहरे रंग की पूरी तरह बिओलॉजिकल और लाभदायक कारण है, तो भारतीय परिवारों को गोरे त्वचा से इतनी लगाव क्यों है? 

भारतीयों का गोरे त्वचा से लगाव:

एक तरफ हम देखते हैं की यूरोप और अमेरिका गोरे लोग आर्टिफिशियल तरीके से खुद को टैन करते हैं। वे स्प्रे टैन का प्रयोग करते हैं या बीच पर जा कर तन करने का प्रयास करते हैं। दूसरी तरफ, हमारे देश में, जब हम नेचरली एक सुंदर टैन पाते हैं, तो पूरी मेहनत से उसे हटाने का प्रयास करते हैं।

आदमी भी नहीं बचे

यह एक आम सोच है की गोरे होने का दबाव केवल लड़कियों को दी जाती है क्योंकि उनकी शादी करने में समस्या होती है, पर यह सच नहीं है। हाल ही में एक दुल्हन ने शादी से केवल इसलिए इंकार किया क्योंकि दूल्हा उसके पसंद के लिए ज़्यादा काला था। बॉलीवुड और एड्स में भी हम यह देख सकते हैं। 

कोलोनियल प्रभाव

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हमारे देश को गोरे अँगरेज़ द्वारा राज किया गया था, जो गहरे रंग के लोगों को अस्वच्छ मानते थे, और उन्हें नापसंद करते थे। इस कारण शायद भारतीय समाज में गहरे त्वचा की ओर नापसंदगी घुस गई है। पर अब भारत आज़ाद है, और अपने लोगो की ख़ुशी के लिए समाज को इस सोच को बदलना पड़ेगा।

मीडिया

बॉलीवुड में केवल वे एक्ट्रेस पॉप्युलर होते हैं जो गोरे होते हैं। हालांकि यह सोच अब बदलने लगी है, आज भी हमें बहुत ऐसे केस सुनने को मिलती हैं जहाँ अभिनेत्री को गोर होने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी करना पड़ा।

कई फिल्मों में, खास कर पुराने फिल्मों में, गहरे रंग के त्वचा वाले अभिनेता को विलेन के रूप में कास्ट किया जाता था, और गोर अभिनेता को हीरो बनाया जाता था।

ब्यूटी क्रीम्स 

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हमारे फैशन और ब्यूटी इंडस्ट्री ने भारतीय परिवारों की गोरे त्वचा से लगाव को पूरी तरह फ़ायदा उठाया है और ब्यूटी क्रीम्स बेचने के लिए स्टीरियोटाइप्स का विज्ञापनों में गलत प्रयोग हुआ है। इससे लोग वापस से उन स्टीरियोटाइप्स को इंटरनलइस करने लगे हैं।

समय आ गया है की हम गोर त्वचा की इल्लॉजिकल लगाव को छोड़ दें और नैचरल सुंदरता को अपनाए। साथ ही, हमें बिओलॉजी को समझ कर गहरे त्वचा को अपनाएं।