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क्या महिलाओं के लिए विवाह ही उनकी वित्तीय सुरक्षा का एक साधन है ?

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Swati Bundela
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शादी सभी के जीवन का एक महत्वपूर्ण लम्हा होता है। जीवन में शादी के लिए हर किसी के अपने सपने और अरमान होते है। शादी के बाद एक तरह से दोनों ही लड़का और लड़की का जीवन  बदल जाता है पर जैसे की भारत एक पुरुष प्रधान समाज है तो यहाँ पर शादी के बाद लड़को के जीवन में ज़्यादा  बदलाव नहीं होते है क्योंकि उनकी सोच यह होती है की जो भी उनकी जीवन साथी आने वाली है उन्हें उसे कंट्रोल करना है ।

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दुनियावालो और लोगो का कहना यह है की एक लड़की के जीवन की वित्तीय सुरक्षा के लिए उसका पति ज़िम्मेदार होता है ।



वही दुनियावालो और लोगो का कहना यह है की एक लड़की के जीवन की वित्तीय सुरक्षा के लिए उसका पति ज़िम्मेदार होता है । एक लड़की चाहे जितना मरी पढ़ ले, कमा ले पर भी उसकी वित्तीय सुरक्षा के लिए उसका पति ही ज़िम्मेदार होता है। ऐसा क्यों जब लड़किया अच्छा कमा रही है और सबसे बड़ी बात है अपने लिए सशक्त है तो फिर क्यों उनके लिए शादी उनके जीवन का एक ख़ास लम्हा न होकर बस एक वित्तीय सुरक्षा बनकर रह गयी है ?

शुरू से भारत एक पुरुष प्रधान देश रहा है और यहाँ प्राचीन समय से लोगो की यह सोच रही है की एक औरत के सुख -दुख के लिए उसका पति ही ज़िम्मेदार होता है । शादी होने के बाद उसे घर संभालने और बाकी के काम के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए ज़िम्मेदार होना चाहिए ।



परन्तु आजकल के इस समय में जहाँ दुनिया चाँद पर पहुँच गयी और तो और महिलाओं ने ऐसे -ऐसे कार्य कर दिखाए है जिससे यह साबित होता है की उन्हें किसी तरह के सहारे की कोई आवश्यकता नहीं है ।उन्हें अपने पैरो पर खड़ा होना आता है । शादी हर महिला के लिए एक पवित्र बंधन होता है जो उनके जीवन में प्रेम के नए रंग भरता है । आजकल के इस युग में जहाँ महिलाये स्वतंत्र है अपने फैसले लेने के लिए सक्षम है , वही महिलाओं के लिए शादी के बाद समाज की यही सोच रहती है की शादी उनके जीवन के लिए बस एक वित्तीय सुरक्षा है ।
#फेमिनिज्म
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