बच्चा पैदा करने के लिए आजकल आईवीएफ ट्रीटमेंट की खूब मदद ली जा रही है। बहुत से सेलेब्रिटी इसी ट्रीटमेंट के चलते पेरेंट्स बनने का सुख पा चुके हैं जब कपल नैचुरली कंसीव नहीं कर पाता तो इस ट्रीटमेंट की मदद ली जाती है लेकिन क्या आईवीएफ हर कपल करवा सकता है, क्या प्रैंग्नेंसी ना होने का लास्ट ऑप्शन्स यहीं है? इस बारे में हर को जानकारी होनी चाहिए, कि किस तरह के केस में IVF की मदद ली जा सकती है।
IVF Treament Facts: IVF से जुड़ी यह जानकारियां कपल्स के लिए हैं जरुरी
एक्सपर्ट की मानें तो लाइफस्टाइल बिगड़ने, शादियां लेट होने के चलते इंफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही हैं। फैलोपियन ट्यूब में समस्या होना, एग कमजोर होना, एग ना बनना, ज्यादा दवाओं का सेवन करना, खराब लाइफस्टाइल, ऑटोइम्यून बीमारियों की वजह से अंडे मर जाना, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, पुरुषों में एजक्यूलेशन संबंधी विकार, तनाव, प्रदूषण का बढ़ता स्तर ये सब कारण बांझपन की वजह बन सकते हैं।
क्या IVF करवाने का कोई नुकसान है?
वैसे यह तकनीक सेफ है। नार्मल प्रेगनेंसी की तरह इसमें भी कुछ कॉम्प्लीकेशन्स या नार्मल साइड–इफेक्ट्स होंगे। अगर आप आईवीएफ की सोच रहे हैं तो बता दें कि इस ट्रीटमेंट के दौरान महिला को कई तरह के एचसीजी इंजेक्शन दिए जाते हैं जिसकी वजह से इंजेक्शन लगने वाली जगह पर सूजन, ओवरी हाइपरस्टिमुलेशन और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है। महिला को चिड़चिड़ापन, ब्रेस्ट छूने पर दर्द, गर्मी लगने, सिर दर्द, मतली और आंखों में धुंधलापन दिखाई देने की शिकायत हो सकती है।
ट्रीटमेंट के बाद हेल्थ का रखें खास ख्याल
IVF ट्रीटमेंट के बाद महिला का वजन बढ़ सकता है। भूख पर असर पड़ सकता है। पेट फूलने, पेट खराब जैसे दस्त-कब्ज की भी शिकायत होती है। स्ट्रेस बहुत रहता है। IVF ट्रीटमेंट के बाद वजन तेज़ी से बढ़ने लगता है, ऐसे में जंक फूड से बचें, फाइबर युक्त आहार खाएं और खूब सारा पानी पीएं। इस तरह के ट्रीटमेंट से बॉडी में इंटरनल और एक्सटर्नल बदलाव आते हैं इसका ख्याल रखते हुए आप तनाव मुक्त रहने के कोशिश करें। भारी सामान ना उठाएं और इंटरकोर्स से परहेज करें। ज्यादा मेहनत वाला व्यायाम ना करें। धूम्रपान शराब का सेवन ना करें ना ट्रीटमेंट से पहले ना बाद में।