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Janmashtami 2023 : जन्माष्टमी की पूजा का सही मुहूर्त और पूजा विधि

आज 6 सितम्बर को पूरा विश्व जन्माष्टमी का पर्व मना रहा है, चारों तरफ बहुत ही हर्ष उल्लास है इस पर्व को लेकर। तो आइए आज के इस ब्लॉग में जानते हैं क्या है शुभ मुहूर्त और कैसे करें जन्माष्टमी पूजा-

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Vaishali Garg
19 Aug 2022 एडिट Sep 06, 2023 10:23 IST
Janmashtami celebration

Image Credit: Unsplash

Janmashtami Shubh Muhrat : पूरे विश्व में आज जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है। चारों तरफ हर्षोल्लास का माहौल है। जन्माष्टमी त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन से संबंधित है। विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण का जन्मदिन श्रावण महीने में कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि को मनाया जाता है।  

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कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में होने के कारण लोग रात भर जागकर पूजा-अर्चना करते हैं। भक्त भक्ति गीत गाते हैं, कृष्ण भजन पर नृत्य करते हैं और आनन्दित होते हैं। हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता का पाठ भी कई मंदिरों में आयोजित किया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

प्रभात खबर के अनुसार जन्माष्टमी 2023 का महत्वपूर्ण दिन आगया है और इस विशेष पर्व के शुभ मुहूर्त का आगाज बुधवार, 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से होगा। अष्टमी तिथि, 7 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त का समय रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है, जब भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण मनाया जाता है। निशिता पूजा का समय 6 सितंबर की रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 42 मिनट तक है, और रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर 2023 को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से होगा, समापन होगा 7 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर। इस धार्मिक उत्सव के इस शुभ अवसर पर, भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने का समय है, जो भक्तों के लिए आनंद और ध्यान का अद्वितीय संगम है।

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पूजा की सामग्री

दही, दूध, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, खीरा,पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति, सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, शहद, अक्षत, माखन, भोग सामग्री, तुलसी का पत्ता, मिश्री, माखन आदि।

जन्माष्टमी की पूजा विधि (Janmashtami Puja Vidhi)

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जन्माष्टमी वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर नहा कर व्रत पूजा का संकल्प लें, फिर श्री कृष्ण की प्रतिमा पर जल चढ़ाएं उनका स्नान कराएं दही दूध आदि से।

उसके बाद भगवान श्री कृष्ण को नए वस्त्र पहनाए और उनके झूले को सजाएं और उनको झूले पर बैठा दें। अब आप भगवान श्री कृष्ण को तिलक लगाएं।

तिलक में आप कुमकुम और पीले चंदन का इस्तेमाल करें। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण को फल, फूल, गुलाल, इत्र, मिठाई आदि चीजें अर्पित करें।

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भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय आप माता देवकी पिता वासुदेव, भाई बलदेव के साथ ही नंदबाबा मैया यशोदा के नाम बोलें।

इतना करने के बाद भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाएं और आप जिस भी चीज का भोग लगा रहे हो उसमें तुलसी डालना ना भूलें। भगवान श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें, भगवान श्री कृष्ण को तुलसी बहुत ही पसंद होती है।

रात में 12:00 बजे फिर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें, भगवान की आरती करें, उन्हें झूला झुलाये, और पंचामृत में माखन मिश्री डालकर श्री कृष्ण को भोग लगाएं। और फिर पूरी रात भगवान श्री कृष्ण के भजन आदि गाय और उनके जन्म की खुशी मनाएं।

जन्माष्टमी पर आए वृद्धि के उपाय

जन्माष्टमी के दिन चांदी की बांसुरी लाकर उसे कान्हा जी के पास चढ़ाएं और फिर अपने पर्स में रख ले, और जन्माष्टमी के दिन 11 गाय को खीर खिलाएं और उस खीर में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। आप किसी भी कृष्ण मंदिर में जाकर वहां पर साफ सफाई करें, झाड़ू लगाए और उसी झाड़ू को फिर अपने घर लेकर आए और उस झाड़ू को अब से अपने घर में और अपने व्यवसाय की जगह पर झाड़ू लगाए।

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