Importance Of Jewellery In Hinduism-आभूषणों से किसी भी व्यक्ति में अलग चमक आ सकती है बचपन से बुढ़ापे तक कोई ना कोई आभूषण सबके करीब रहा है विवाह में और जीवन में आभूषणों का अपना एक महत्व होता है।
हिन्दू धर्म में आभुषण का मह्त्व
1.पायल
कहा जाता है जन्म लेने के बाद किसी भी कन्या का पहला तोहफा माता-पिता की तरफ से पायल होता है क्योंकि पायल की झंकार नकारात्मकता को दूर करती है, और हर एक धातुओं की अलग विशेषताएं होती है जिस वजह से चांदी के पायल पहन ने से प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम बढ़ने की अधिक संभावना होती है, पायल को मुख्यता चांदी से बनाया जाता है क्योंकि सोने को मां लक्ष्मी की मान्यता दी गई है इसीलिए उन्हें पैर में पहनना पवित्र माना गया है।
2.बिछिया
बिछिया का महत्व विभाग के बाद विवाहित दंपत्ति के जीवन में बहुत होता है, आजकल अविवाहित महिलाएं भी से ग्रहण करती है परंतु सनातन हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार केवल विवाहित महिला किए धारण कर सकती हैं, बिछिया को धारण करने के दो मुख्य विशेषताएं यह है।
- बिछिया का पहनना रक्तचाप ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है,
- यह महिलाओं के मासिक चक्र को भी नियमित रूप से रखता है।
3. चूड़ियां
चूड़ियों को हम विवाहित और अविवाहित दोनों ही स्थान पर देख सकते हैं, अलग-अलग धातुओं और रंगों से बने बने होते हैं इसकी विशेषता हर रंग के अनुसार अलग-अलग होती है जैसे सावन में या महाराष्ट्र में हरी चूड़ियों का प्रचलन है वैसे ही उत्तरी भारत में इसे चूड़ा से संबोधित किया जाता है जिसमें शादी के 6 महीने या 1 साल तक महिलाएं धारण करती हैं।
4.अंगूठी
अंगूठी की मान्यता को प्रेम पारिवारिक परंपरा धन और अलंकरण से जोड़ा गया है, निश्चल प्रेम का भी संकेत देता है इसीलिए विवाह जैसे शुभ कार्यों में बीए प्रथा प्रचलित है, अंगूठियों में भी अलग-अलग धातुओं का अपना एक महत्व होता है बहुत से लोग इसे अपनी राशियों के अनुसार बनाते हैं।