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Photograph: (Freepik)
Know what PMS and PMDD are: पीरियड्स ( periods) केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं है बल्कि ये किसी महिला को मानसिक रूप से भी प्रभावित करती है। पीरियड्स के दौरान हर महीने कई महिलाएं अलग अलग तरह के शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती हैं, जिन्हें अक्सर PMS (Premenstrual Syndrome) कहा जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं को इससे कहीं अधिक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो PMS से ज्यादा तीव्र होने के साथ परेशानी का कारण बन सकते है। इसे PMDD (Premenstrual Dysphoric Disorder) कहा जाता है। कई बार PMS को PMDD को एक दूसरे की जगह इस्तेमाल किया जाता है हालांकि दोनों ही पीरियड्स( period) से जुड़े होते है लेकिन दोनों में अंतर है। लेकिन उनके लक्षण और गंभीरता अलग अलग होते है। आइए जानते है।
PMS और PMDD में क्या है अंतर?
1.लक्षणों कितने तीव्र है
PMS महिलाओं में बहुत आम है और ये कुछ दिन पहले होने वाले शारीरिक और मानसिक लक्षणों का समूह है, जैसे हल्का चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, थकान, सूजन और पेट में दर्द। यह सामान्य माना जाता है और ज्यादातर महिलाएं इसका अनुभव करती हैं। लेकिन PMDD सिर्फ 3 से 8 प्रतिशत महिलाओं को ही प्रभावित करता है। यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो PMS से कहीं अधिक तीव्र होती है। इसमें गहरी उदासी, अत्यधिक थकान, गुस्सा, एंजाइटी, और यहां तक कि डिप्रेशन जैसे लक्षण दिख सकते हैं, जो रोजमर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करते है।
2.इमोशन कैसे बदलते है
PMS में मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन आम है लेकिन इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। पर PMDD का बहुत गहरा भावनात्मक प्रभाव होता है और इमोशंस हावी होने लगते है। ये तीव्र गुस्से से शुरू होकर निराशा, हताशा से डिप्रेशन तक जा सकता है, और ये चिंता PMS कि तुलना में कहीं अधिक होती है जिसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
3. शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है
PMS में शरीर में थकान महसूस होती है साथ ही शरीर में हल्की सूजन, स्तनों में कोमलता, और सिरदर्द भी होता है। जबकि PMDD में कुछ लक्षण PMS जैसे होते है लेकिन वो बहुत ज्यादा तीव्र होते है। इसमें थकान बहुत ज्यादा होती है, जोड़ो में दर्द और बार बार चक्कर आते है, उल्टी होती है, पेट में तेज दर्द रह सकता है।
4.कितने समय तक बने रहते है लक्षण
PMS अक्सर पीरियड्स के कुछ समय पहले जैसे हफ्ते दो हफ्ते पहले से दिखते है और पीरियड्स शुरू होने पर कम हो जाते है, PMDD की भी शुरुआत तभी होती है लेकिन ये पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिनों बाद तक भी बने रह सकते है, जिससे स्थिति नॉर्मल होने में वक्त लगता है और ये लंबे समय तक चलता है।
5. आपकी रूटीन में क्या असर डाल सकता है
ज्यादातर महिलाएं PMS को आसानी से नियंत्रित कर अपनी रूटीन पर इसके प्रभाव को कम कर सकती है, वहीं PMDD के मामले में ये बहुत मुश्किल है। लक्षणों की गंभीरता की वजह से PMDD को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल है और इसमें आपको बाहर जाने, रोज का रूटीन फॉलो करने, या आपकी मेंटल स्टेट को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।