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महारानी केंपनंजम्मनी वानी विलासा सन्निधाना का नाम इतिहास के उन महान नेतृत्वकर्ताओं में आता है, जिन्होंने न केवल अपने राज्य को समृद्ध बनाया बल्कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में भी अहम योगदान दिया।
उनका जीवन 26 वर्ष की उम्र में अचानक बदल गया जब उनके पति, महाराजा चामराजेंद्र वाडियार X का 31 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस घटना ने उन्हें तोड़कर रख दिया, लेकिन उन्होंने खुद को संभालते हुए मय्सुरु की बागडोर संभाली और अपने नेतृत्व से राज्य को समृद्धि की ओर अग्रसर किया।
महारानी केंपनंजम्मनी: मय्सुरु की प्रेरणादायक रानी जिन्होंने गहने बेचकर बनाए बांध
आरंभिक जीवन और विवाह
केंपनंजम्मनी का जन्म कन्नड़, संस्कृत और अंग्रेजी में शिक्षित एक शाही परिवार में हुआ। 12 वर्ष की उम्र में उनका विवाह महाराजा चामराजेंद्र वाडियार से हुआ। 1878 में हुए इस विवाह के बाद 1881 में उन्हें महारानी का दर्जा प्राप्त हुआ। महाराजा चामराजेंद्र ने अपने शासनकाल में कई सुधार किए, जैसे अकाल राहत, शिक्षा और बुनियादी ढांचे का विकास।
महारानी के रूप में शासन
1894 में महाराजा के असामयिक निधन के बाद, महारानी केंपनंजम्मनी ने रीजेंट के रूप में मय्सुरु की सत्ता संभाली। अपने शासनकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की।
सिंचाई और जल प्रबंधन में योगदान
1898 में, उन्होंने सेशाद्रि अय्यर के साथ मिलकर सिंचाई परियोजना शुरू की, जिससे कृषि को बड़ा लाभ मिला। चित्तरदुर्गा जिले में वानी विलास सागर बांध का निर्माण उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है। यह बांध सिंचाई और खेती के लिए वरदान साबित हुआ। बेंगलुरु के लिए भी उन्होंने हेसरघट्टा जलाशय से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की।
ऊर्जा और बिजली परियोजनाओं में अग्रणी
महारानी के नेतृत्व में शिवनासमुद्र जलविद्युत परियोजना शुरू हुई, जिससे कोलार गोल्ड फील्ड्स और बेंगलुरु जैसे क्षेत्रों को बिजली की आपूर्ति हुई।
कृष्णराज सागर बांध का निर्माण
महारानी केंपनंजम्मनी की सबसे बड़ी उपलब्धि कृष्णराज सागर (केआरएस) बांध का निर्माण थी। इस परियोजना के लिए उन्होंने अपने परिवार के गहने तक बेच दिए, जो उनकी जनता के प्रति उनकी समर्पण भावना को दर्शाता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया। उनके प्रयासों से कई लड़कियों के स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना हुई। उन्होंने प्रसव और शिशु देखभाल के लिए अस्पताल और औषधालय भी बनवाए।
एक अद्वितीय विरासत
महारानी केंपनंजम्मनी ने अपने शासनकाल में जो काम किए, वह आज भी मय्सुरु की समृद्धि और विकास की गवाही देते हैं। उनके नाम पर कई स्थान और संस्थान हैं, जैसे वानी विलास सर्कल, वानी विलासपुरा बांध, और वानी विलास रोड। 1934 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी उपलब्धियां आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
महारानी केंपनंजम्मनी वानी विलासा सन्निधाना न केवल मय्सुरु की बल्कि पूरे भारत की एक अद्वितीय महिला नेता थीं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और करुणा के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।