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Mahashivratri 2025: आज, 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि का पावन पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है, जिसे धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शुभ माना गया है।
महाशिवरात्रि की रात जागरण करना क्यों शुभ माना जाता है?
महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए, इस रात को जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस रात भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर भ्रमण करते हैं, और जो भक्त जागरण करते हुए उनकी आराधना करते हैं, उन पर उनकी कृपा बरसती है।
रात्रि जागरण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टि से, महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण मानव शरीर में ऊर्जा का प्रवाह ऊपर की ओर होता है। इस समय जागरण और ध्यान करने से आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। रात्रि का शांत वातावरण ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिससे मन की एकाग्रता बढ़ती है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
रात्रि जागरण की विधि
महाशिवरात्रि की रात को चार प्रहरों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। भक्तजन रात्रि भर जागकर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप, भजन-कीर्तन, और शिव चालीसा का पाठ करते हैं। इससे मन की शांति और आध्यात्मिक बल में वृद्धि होती है।
उपवास और रात्रि जागरण का फल
महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखने और रात्रि जागरण करने से भक्तों को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है, और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। रात्रि जागरण से मानसिक शांति और आत्मिक बल में वृद्धि होती है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक है।
अतः, महाशिवरात्रि की रात जागरण करना धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से अत्यंत शुभ माना गया है। इस पावन अवसर पर भगवान शिव की आराधना करके हम अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं।