Ganesh Chaturthi 2022: 31 अगस्त को लगभग हर गली मोहल्ले में, घरों में गणेश जी विराजमान हो गए हैं। चारों तरफ गणेश चतुर्थी की धूम धाम है। मुंबई में 2 साल बाद फिर से देखने को मिल रही है गणेश चतुर्थी की चहल-पहल। भक्तगण बहुत ही खुशी से इस बार गणपति जी को अपने घरों में व पंडालों में लेकर आए हैं, गणपति बप्पा मोरया! मंगल मूर्ति मोरया! का स्वर चरों तरफ गूंज रहा है। कल से अगले दस दिनों तक गणेश जी की आरती-वंदना हर घर हर मंदिर-पंडालों में की जाएगी।
आइए आज के इस ब्लॉग में देखते हैं कि गणपति भगवान को क्यों प्रिय है दुवा और क्यों उन्हें दुवा और सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश जी को दुवा क्यों प्रिय है?
एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि - त्राहि मची हुई थी। अनलासुर एक ऐसा दैत्य था, जो मुनि - ऋषियों और साधारण मनुष्यों को जिंदा निगल जाता था। इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर इंद्र सहित सभी देवी देवता , ऋषि - मुनि भगवान महादेव से प्रार्थना करने जा पहुंचे और सभी ने महादेव से यह प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का खात्मा करें। तब महादेव ने समस्त देवी - देवताओं तथा मुनि ऋषियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं। फिर सबकी प्रार्थना पर श्री गणेश ने अनलासुर को निगल लिया, तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी।
इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी जब गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हुई तब कश्यप ऋषि ने दुवा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं। यह दुवा श्री गणेशजी ने ग्रहण की, तब कहीं जाकर उनके पेट की जलन शांत हुई। ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश को दुवा चढ़ाने की परंपरा तभी से आरंभ हुई।
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश जी को सिन्दूर क्यों चढ़ाया जाता है?
सिन्दूर को शुभ माना जाता है। यही वजह है कि पूजा-पाठ में विशेष रूप से सिन्दूर का प्रयोग किया जाता है हर जगह। ऐसा माना जाता है कि गणपति को सिन्दूर चढ़ाने से व्यक्ति को किसी की बुरी नजर नहीं लगती है और उसे परेशानियों से भी मुक्ति मिल जाती है। बुधवार के दिन यदि गणेश जी को सिन्दूर चढ़ाया जाए तो वह जल्दी ही प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।