Margashirsha Purnima 2022: हिंदू धार्मिक में हर शुभकार्य में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है। भगवान सत्यनारायण की पूजन से सभी प्रकार के पाप कर्म से मुक्ति मिलती है और कष्ट से भी मुक्ति मिलती है। आपको बता दें की सत्यनारायण का व्रत मार्गशीर्ष पूर्णिमा को रखा जाता है। सत्यनारायण भगवान का व्रत रखने से सुख समृद्धि, स्वास्थ्य, धन और यश की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
Margashirsha Purnima: जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्त्व
पुरानी मान्यता के मुताबिक मार्गशीर्ष (Margashirsha) पूर्णिमा पर व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना चाहिए। ऐसा कहते हैं कि इस दिन किए जाने वाले दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक मिलेता है इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करने की मान्यता है।
Margashirsha Purnima 2022: जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्स
उदयातिथि के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत इस बार 7 दिसंबर को रखा जाएगा। मार्गशीर्ष पूर्णिमा की शुरुआत 7 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 1 मिनट पर होगी और इसका समापन 8 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर होगा
Margashirsha Purnima 2022: सत्यनारायण व्रत पूजा विधि
गंगा स्नान या पानी में गंगा जल डालकर नहाने के बाद एक चौकी पर सत्यनारायण भगवान की प्रतिमाक को स्थापित करें और चारों ओर केले के पत्ते बांध दें। इसके बाद चौकी पर जल से भरा कलश रखें और देसी घी का दीपक जलाएं। अब भगवाह सत्यनारायण का षोडशोपचार पूजा करें और आरती करके कथा सुने या फिर सुनाएं। इसके बाद प्रसाद में आटे का चूरन और पंचामृत के साथ फल और मिठाइयों का भगवान को भोग लगाएं। प्रसाद में तुलसी जरूर डालें और पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर दक्षिणा दें। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें और गाय को भी खाना खिलाएं।
Margashirsha Purnima 2022: कथा श्रवण का महत्व
सत्य को नारायणा के रूप में पूजना और नारायण को ही सत्य मानना यही सत्यनारायण है। सत्य में ही सारा जगत समाया हुआ है बाकी सब माया है। सत्यनारायण की कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन के संकट मिट जाते हैं और वह सुख, समृद्धि एवं संतति को प्राप्त करना है। इस कथा को कहने सुनने से निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है।