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केंद्रीय सरकार ने मैरिटल रेप को क्राइम मानने से इंकार कर दिया है , उनका कहना ये है कि "ये मैरिज इंस्टीटूशन के लिए खतरा है , पतियों को सताने के लिए ये एक आसान तरीका हो सकता है।"
IPC के अकॉर्डिंग रेप
IPC (इंडियन पीनल कोड) के सेक्शन 375 के हिसाब से अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ इन 5 सिचुएशन में फिजिकली इन्वॉल्व होता है तो उसे रेप माना जायेगा :
- लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ।
- लड़की की मर्जी से, लेकिन उसकी ये रज़ामंदी मौत या नुक़सान पहुंचाने जैसी धमकी दे कर ली गयी हो।
- लड़की की रजामंदी से, लेकिन महिला ने यह सहमति उस व्यक्ति की ब्याहता(शादीशुदा) होने के भ्रम में दी हो।
- लड़की की मर्ज़ी से, लेकिन महिला उस समय होश में न हो (महिला का मानसिक संतुलन ख़राब हो या नशे में हो)
- लड़की की उम्र अगर 16 से कम है तो उसकी मर्ज़ी से किया गया सेक्स भी रेप माना जायेगा।
- एक्सेप्शन :अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम है तो पति का उसके साथ सेक्स करना बलात्कार नहीं है।
IPC के अकॉर्डिंग मैरिटल रेप
IPC रेप की डेफिनेशन तो बताता है लेकिन उसमे मैरिटल रेप का कोई ज़िक्र नहीं है। सेक्शन 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान है। इस धारा में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है , लेकिन ये सजा जब लागू होगी अगर पत्नी 12 साल से कम की हो।
इसमें कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर बलात्कार करता है तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
सेक्शन 375 और 376 से ये समझा जा सकता है की महिला की सेक्स के लिए रज़ामंदी देने की उम्र 16 साल है ,लेकिन 12 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी का कंसेंट मैटर नहीं करता।
हिंदू मैरिज एक्ट
हिंदू मैरिज एक्ट के अकॉर्डिंग पति और पत्नी एक दूसरे के प्रति कुछ जिम्मेदारियां तय करते है, इनमें सैक्स का अधिकार भी शामिल है। क़ानूनन ये माना गया है कि सेक्स के लिए इनकार करना Cruelty है और इस बेसिस पर तलाक मांगा जा सकता है।
घरेलू हिंसा क़ानून
घर की चारदीवारी में महिलाओं से सेक्सुअल एब्यूज के लिए 2005 में घरेलू हिंसा क़ानून लाया गया था। ये क़ानून महिलाओं को घर में होने वाले सेक्सुअल एब्यूज से बचाने के लिए है।
तो ये है हमारे इंडियन लॉज़। ये मैरिटल रेप को क्राइम कंसीडर ही नहीं करते तो इस पर सजा कैसे मिलेगी। किसी भी औरत को उसकी मर्ज़ी के बगैर छूना गलत है चाहे वो उसका पति ही क्यों न हो। हर इंसान को अपने जिस्म पर हक़ है। हमारे constitution ने हमे कुछ बेसिक राइट्स दिए है। Right to Life, Right to Liberty सबके पास है। हमे "CONSENT" (रज़ामंदी) शब्द को समझना चाहिए ,चाहे वो लड़का हो या लड़की एक दूसरे की मर्ज़ी की रेस्पेक्ट करनी चाहिए।
भारतीय कानून को बदलने की सख्त ज़रूरत है , कबतक हमारा समाज औरतो को उनकी पर्सनल फ्रीडम नहीं देगा। रेप तो रेप होता है चाहे रेपिस्ट पति हो या कोई अंजान। हमे इस सोसाइटी से पूछना होगा "क्यों मेरे शरीर पर मेरा हक़ नहीं।"