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जानिए #MeToo का बॉलीवुड पर क्या प्रभाव हुआ है

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Swati Bundela
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चार पैनलिस्ट, जो आंदोलन के महत्वपूर्ण भाग हैं ने  #MeToo के बारे में बात की और बताया कि क्या वजह है कि वह इसके लिये लड़ रहे है.

कुछ ख़ास बातें

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  • #MeToo आंदोलन की बात करते हुये पैनल ने विभिन्न उपायों पर सुझाव दिए. इसमें एक बात हेल्पलाइन की है जो यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार को रोकने या उससे निपटने में मदद कर सकती है.

  • चर्चा में यह तथ्य भी सामने आया कि अभी भी कुछ अपराधी हैं, जो उद्योग में बड़े नाम हैं, लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है क्योंकि लोग डरते है कि अगर उनका नाम लिया गया तो उसके परिणाम क्या होगें.

  • सिंटा के जीएस सुशांत ने इस उद्देश्य के लिए एक अलग निकाय की स्थापना की बात की जिसमें ताक़तवर आवाज़ों को शामिल किया जायें, ताकि वह मदद करें ऐसे लोगों को नीचे लाने में जो इसमें शामिल है और जिनका रसूख है.


वक्ताओं ने अपनी कहानी को साझा करते हुए निष्कर्ष निकाला कि प्रमुख महिला कलाकारों को एक साथ आने की जरुरत है और इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिये अपनी चुप्पी तोड़ने की जरूरत है.
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"मैं इसका एक हिस्सा बन गयी क्योंकि मुझे विश्वास था कि मैं एजेंडे को आगे लेकर जाउंगी. इसके अलावा, मैं खुद से यह कहती रही कि अगर मैं चुप रहीं, तो मैं जिस के लिये खड़ी हूं, उसके साथ न्याय नही करुंगी.”- विंता नंदा


शैली चोपड़ा ने चर्चा शुरू की कि आधुनिक भारत के इतिहास में #MeToo आंदोलन कैसे मील का पत्थर साबित हो सकता है. नंदा, जिन्हें हाल ही में अदालत ने अनुमति दी थी कि वह किसी भी मंच पर स्वतंत्र रूप से बात कर सकती है ने कहा कि # MeToo आंदोलन ने उन्हें साहस दिया और उसे सामने लाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से मेरे विचारों में आ रहा था कि और मैं खुद से कह रही थी की - अब या कभी नहीं."
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टेलीविजन पर तनुश्री दत्ता का इंटरव्यू, सिंटा के जनरल सेक्रेटरी सुशांत का आश्वासन और मीडिया के दृढ़ विश्वास ने विंटा को मजबूर कर दिया जिसके बाद उन्होंने अपनी बात को सामने लायी.
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"मैंने खुद से कहा कि यह समय है कि मैं सच्चाई का अपना पक्ष रखूं और तनुश्री की कहानी की पुष्टि करु- " - जेनिस सिक्येरा


जेनिस, जिन्होंने ट्विट्स की श्रृंखला के ज़रिये तनुश्री की बात की पुष्टि की, ने बताया कि उन्होंने अपना समर्थन क्यों दिया क्योंकि वह सही बात करना चाहती थीं. उन्होंने बताया, "मैं टीवी पर तनुश्री के इंटरव्यू देख रही थी. मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से तभी महसूस किया लोग उसके बारे में किस तरह के ग़लत बातें कर रहे थे. वह मैंने सोचा कि  मुझे बाहर निकलना होगा और बताना होगा जो बातें मुझे पता है.”
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"मुझे लगता है कि कार्यस्थल पर ऐसे अपराधियों के साथ खुद को जोड़ने वाले लोगों को एक निश्चित ज़िम्मेदारी आनी चाहिए" - सलोनी चोपड़ा


सलोनी का मानना है कि यह आंदोलन यहां पर रहने के लिए है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी बातें बाहर लाने का फैसला किया जब उन्होंने विंता की कहानी पढ़ी. तब उन्होंने यह महसूस किया कि यह उनकी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है.
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उन्होंने कहा, "मैं जो बातें करती हूं उसको प्रेक्टिस में लाने का समय भी था. अगर मैं ऐसा नही करती तो महिलाओं के बारे में बात करने का मेरा कोई मतलब नही रह जाता.”

 "एक चीज जो वास्तव में मुझे परेशान करती है वह यह है कि कोई क्षमा और स्वीकृति नहीं मिली है. साजिद अचानक पूरी तरह से गायब हो गये है. "- सलोनी चोपड़ा


जबकि माफी ऐसी चीज़ है जिसे पहले मांगा जाना चाहिये था. सलोनी का मानना है कि उन्हें इस बात को स्वीकार भी करना चाहिये था. उन्होंने कहा, "देखिये, माफी माँगने और गलती को स्वीकार करने के बजाय ये अपराधी महिलाओं को चुप करने के लिए मुकदमें दायर कर रहे है.”

ख़ुलासे के बाद


शैली चोपड़ा ने सुशांत से पूछा कि वह पिछले कुछ हफ्तों में #MeToo की लहर से कैसे निपट रहे है. उसके बाद उन्होंने एक दिलचस्प बिंदु सामने लाया कि उन्हें पिछले कुछ हफ्तों के दौरान, सोशल मीडिया में लोगों से कई संदेश प्राप्त हुये हैं. उन्हें इस तथ्य ने अचंभित कर दिया गया कि उन्हें पूरी तरह से न के बराबर आपत्तिजनक संदेश मिलें, जबकि दूसरी तरफ, इन महिलाओं को लगातार ट्रोल किया जा रहा था.

"मुझे साजिद और आलोक नाथ के खिलाफ #MeToo  आरोपों के बारे में पता चलने पर शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं कहा काम कर रहा हूं." - सुशांत सिंह


सुशांत ने #MeToo खुलासे के बाद, एक व्यक्ति और एक सिंटा के अधिकारी के रूप में अपनी प्रतिक्रिया और अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने तनुश्री की कहानी सुनी तो वह कितने परेशान हो गये और इस तथ्य को महसूस किया कि घटना के समय किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. उन्होंने बताया, "पिछले कुछ हफ्तों में मुझे कई बार अपने आप से गुस्से का सामना करना पड़ा. यह पता लगने के बाद कि ये महिलाएं इतने वर्षों से इस तरह की मुश्किलों का सामना कर रही है और किसी ने भी उनकी मदद नहीं की., "

सुशांत ने यह भी बताया कि वह एक व्यक्ति के रूप में किसी का पक्ष ले सकते है, लेकिन सिंटा प्रतिनिधि के रूप में, उन्हें मिलने वाली हर शिकायतों को गंभीरता से लेना होगा.

"जब मैंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस चलाया, तो लोग कहते थे कि केवल 'ना मर्द' पुरुष ही मेरे साथ काम कर सकते हैं. ऐसा इसलिए था क्योंकि मेरी इकाई में यौन उत्पीड़न के लिए कोई जगह नही रखी थी."- विंता नंदा


विंता ने बताया की एक शो के निर्माता के रूप में उन्होंने अनिवार्य कर दिया था कि किसी को भी अप्रिय तरीके से कार्य करने और सोचने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने महिलाओं से कहा था कि ऐसी घटनाओं के मामले में वह तत्काल सहायता के लिए आयें.

मानसिकता कैसे बदल जाएगी?


जेनिस, ने यह स्वीकार करते हुए कि सिंटा और अन्य सही कारवाही कर रहे है कहा कि चिंता का विषय यह है कि अभी भी कई बड़े लोग है जिनका नाम नही आया है और लोग उनका नाम लेने में डर रहे है. " यह एक बड़ी चिंता है कि अभी भी नाम है जो सामने नही आये है."

आगे का रास्ता?


इस बात से यह भी सामना आया कि बॉलीवुड कैसे बेहतर और अधिक ईमानदार जगहों के बारे में सोच सकता है. सलोनी ने एक और महत्वपूर्ण तथ्य पर प्रकाश डाला कि कैमरे के पीछे शायद ही कोई महिला हों. उन्होंने कहा कि एक सामाजिक परिवर्तन की जरूरत है और यह समय है कि महिलाओं को एक शक्तिशाली रुप में दिखाया जायें. उन्होंने कहा, "महिलाएं कहां हैं? ज्यादातर कहानियां एक आदमी के परिप्रेक्ष्य से हैं, उद्योग में ज्यादातर कंटेट आदमी ही बनाते है. "

"यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार उद्योग में सिर्फ गोसिप को तौर पर इस्तेमाल होता है," - सलोनी चोपड़ा


सलोनी ने जोर देकर कहा कि एक व्यक्ति एक भूमिका निभाने के लिए उसके साथ सोने के लिए कह रहा है तो यह सीधे सीधे शक्ति का दुरुपयोग है. उन्होंने कहा, उस समय, उन्होंने वास्तव में यह महसूस नहीं किया कि घटना उत्पीड़न या दुर्व्यवहार था. एक उचित प्रणाली का सुझाव देते हुए, उन्होंने प्रभावी हेल्पलाइनों की स्थापना का आग्रह किया जहां लोग कॉल कर सकते हैं, शिकायत कर सकते हैं और मदद ले सकते हैं.

एकता


विंता ने संकेत दिया कि बॉलीवुड की एकता एक तरह के अपराध बोध का परिणाम है. उन्होंने आगे बताया, "वे एक साथ हैं क्योंकि यह एक परेशान करने वाली स्थिति है. वे परिस्थितियों से निपटने के तरीके को समझने में असमर्थ हैं क्योंकि उनमें से बहुत से लोग सहयोग या उत्पीड़न के भी दोषी हैं."

 "बॉलीवुड उद्योग के बड़े नाम अभी सामने नही आयें है. हम सभी जानते हैं कि वे कौन हैं लेकिन कोई भी उन्हें छू नही सकता है क्योंकि ये वह लोग है जिन्हें बॉक्स ऑफिस में 100 करोड़ मिलते है. बॉलीवुड उन्हें अपरिवर्तनीय रूप से देखता है, "- जेनिस सिक्येरा


चोपड़ा ने शीर्ष पायदान वाली महिला अभिनेत्रियों की भूमिका की बात करते हुये बताया कि इन महिलाओं को बाहर आने और दबाव बनाए रखना क्यों जरूरी है. जेनिस ने हॉलीवुड से एक संदर्भ लेते हुए समझाया कि पश्चिम में प्रमुख महिला कलाकारों ने न केवल अपनी #MeToo कहानियों को साझा किया बल्कि अन्य पीड़ित के साथ भी खड़ी हुई. जेनिस का मानना है कि बॉलीवुड की प्रमुख महिलाओं को उदाहरण बनना की जरुरत है. "उन्हें अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिये और अपनी कहानी को सामने लायें या फिर दूसरों के समर्थन में खड़े हो."

"आज की पीढ़ी बेहद शक्तिशाली है," - विंता नंदा


आज फिल्म उद्योग में उत्पीड़न से निपटने वाली मौजूदा पीढ़ी के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए विंता ने कहा कि हमें आभारी होना चाहिए कि वर्तमान पीढ़ी उनके दृष्टिकोण में प्रेरित है और शक्तिशाली है. उन्होंने आख़िर में कहा, "हम आज की नई पीढ़ी को कमजोर समझ रहे हैं. ये बच्चे आज और अधिक व्यावहारिक तरीके से चीज़ों को बदल रहे हैं और मुश्किलों से निपट रहे हैं.
बॉलीवुड #MeeToo नेतृत्व के गुण सलोनी चोपड़ा
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