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Modern Parenting: मॉडर्न बच्चों के लिए मॉडर्न पेरेंटिंग

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Monika Pundir
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परवरिश: क्या है मॉडर्न पेरेंटिंग, इसे कैसे अपनाया जा सकता है। 

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इस फ़ास्ट फॉरवर्ड दुनिया में पीछे छूट जाने के डर से, जिस तरह लोग बदलते समय के साथ अपनी पसंद, नापसंद को बदल लेते है, ठीक वैसे ही आज के इस बदलते ज़माने में माता-पिता को भी बच्चो की परवरिश के लिए अपने पुराने तौर तरीकों को बदल कर कुछ नयापन लाना होगा। जिससे आपके बच्चे मॉडर्न होने के साथ-साथ योग्य, तेजस्वी, वेल मैनर्ड और बुद्धिमान भी बन सके। ऐसा करने के लिए माता पिता के पास मॉडर्न पेरेंटिंग के कॉन्सेप्ट से अच्छा कोई तरीका हो ही नहीं सकता। 

आज के दौर में मॉडर्न पेरेंट्स होने और अपने बच्चों को ट्रेडिशनल वैल्यूज देने के बीच सही और व्यवस्थित संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी पेरेंटिंग चुनौती है। अब तक पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ या तो बहुत कठोर होते थे या फिर बहुत नरम। ऐसा करने के पीछे का कारण प्रेम की कमी हरगिज नहीं है अगर कमी है तो वो है जागरूकता की। 

क्या है मॉडर्न पेरेंटिंग?

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बच्चे के जन्म के समय से ही बच्चे पर सबसे अधिक और महत्वपूर्ण प्रभाव किसी का होता है तो वो होता है माता-पिता का। माता-पिता को अपने बच्चे के साथ बात करते समय कभी झिझकना या हिचकिचाना नहीं चाहिए बल्कि एक माता-पिता को अपनी संतानों के साथ हमेशा खुले तौर पर, स्वतंत्र रूप से और सम्मान पूर्वक बातचीत करनी चाहिए। 

जब आप ऐसा करेंगे तो आप अनुभव कर पाएंगे कि अच्छे व्यवहार वाले बच्चे अच्छे आचार-विचार वाले माता-पिता से ही आते हैं। 

मॉडर्न पेरेंटिंग के तरीके: 

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1. प्रेम से सिखाये: याद रखें शिष्टाचार सीखना कोई दंड या सजा नहीं है। अपने बच्चों के लिए सीमाएं निर्धारित करना बिलकुल भी गलत नहीं है। सीमा तय करने का उद्देश्य सिर्फ यही है कि बच्चा बड़ा होकर समाज में कैसा व्यव्हार करेगा। लेकिन ये सभी काम आप प्रेमपूर्वक और धैर्यपूर्वक भी कर सकते है।बच्चों को सीमाएं, नियम, रोक-टोक और हस्तक्षेप से बड़ी ही समस्या होती है। इसके साथ-साथ आप अपने बच्चे को कोई भी अच्छा काम करने पर शाबाशी और अपनी ख़ुशी व्यक्त कर सकते हैं। 

2. पॉजिटिव री-एनफोर्समेंट: रिसर्च ने पाया है कि पॉजिटिव री-एनफोर्समेंट, नेगेटिव री-एनफोर्समेंट से बेहतर काम करता है, केवल बच्चे पर नहीं बल्कि हर इंसान पर। कठोर सज़ा और कठोर शब्द से बच्चे गलती से दूर रहना नहीं सीखते, वे गलती को बेहतर छिपाना सीखते हैं। इसलिए कोशिश करें की जहाँ तक मुमकिन, डांटने के जगह आप अपने बच्चे को समझाए। अगर वह गलती करे, जो कि वह बार बार करेगा, कोशिश करें की आप उसे डाटने के स्थान पर उस गलती को सुधारने के उपाय ढूंढ़ने को कहे। उदाहरण के तौर पर अगर वह गिलास तोड़ दे, तो उससे कहें की वह सफाई में मदद करें। अगर उससे पेंसिल बॉक्स खो जाए, तो उन्हें कुछ (अपने ही) घर के काम दे कर पैसा कमाने, और खुद से नई बॉक्स खरीदने का ऑप्शन दे। 

3. फ़ैमिली टाइम को बढ़ाए: कामकाजी माता-पिता बच्चों पर ज्यादा रोक- टोक नहीं करते या उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दें पाते। क्योंकि वो घर में नहीं रहते और अपने कामों में व्यस्त रहते है। इसलिए कामकाजी पेरेंट्स के बच्चे समस्याओं से घबराते नहीं है इसलिए ऐसे बच्चे जीवन में आने वाली हर मुसीबत का सामना बहुत ही निडरता के साथ और हिम्मत के साथ करते है। लेकिन ऐसे बच्चों को भी बचपन में अपने माता पिता से बाते करने, उनके साथ खेलने की ज़रूरत होती है। इसलिए बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताये, उनसे बातें करें, घूमने जाएं, खेल खेले।  

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4. सॉरी बोलें: माता-पिता बच्चों के साथ बड़े होते है। जैसे बच्चे माता-पिता से सीखते है ठीक वैसे ही माता-पिता भी बच्चों से सीखते है। बच्चों से कुछ नया सीखने और उन्हें सम्मान देने में कोई बुराई नहीं है। जैसे गलती करने पर बच्चे माता-पिता से माफ़ी मांगते है वैसे ही गलत होने पर अगर माता-पिता माफ़ी मांग लें तो इसमें अपमान कि कोई बात नहीं है। 

5. बुजुर्गों का सम्मान: मॉडर्न होने का मतलब ये कतई नहीं है कि आप अपने से बड़ों का सम्मान करना छोड़ दें।  बच्चे माता-पिता से ही सीखते हैं, इसलिए जैसा व्यव्हार पेरेंट्स अपने से बड़ों या छोटों के साथ करता है बच्चे भी वैसा ही करते है। इसलिए बच्चों को छोटे-बड़ों का सम्मान और दूसरों और जरूरतमंदों की मदद करना सिखाएं।

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