/hindi/media/media_files/2025/02/04/6d38R93ySc7SJhNQlu0U.png)
Photograph: (Canva)
महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर समाज में कई गलत धारणाएं और मिथक हैं, जिन्हें समय-समय पर फैलाया गया है। ये मिथक न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता पर भी असर डालते हैं। इस लेख में हम कुछ प्रमुख स्वास्थ्य मिथकों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें हमें अब नजरअंदाज करना चाहिए।
महिलाओं से जुड़े स्वास्थ्य के मिथक जिन्हें अब चुनौती दी जानी चाहिए
1. "महिलाओं को कम कैलोरी की आवश्यकता होती है"
यह एक सामान्य मिथक है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम कैलोरी की आवश्यकता होती है। लेकिन महिलाओं के शरीर की जरूरतें उम्र, शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर बदलती रहती हैं। महिलाओं को भी अपने शरीर के लिए उचित मात्रा में कैलोरी और पोषण की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से गर्भावस्था, स्तनपान या शारीरिक रूप से सक्रिय होने पर।
2. "मेनोपॉज के बाद महिलाओं को सेक्स नहीं करना चाहिए"
मेनोपॉज (मासिक धर्म के रुकने की स्थिति) के बाद महिलाओं की सेक्स जीवन को लेकर कई गलतफहमियां फैली हुई हैं। यह सच नहीं है कि मेनोपॉज के बाद सेक्स जीवन समाप्त हो जाता है। दरअसल, मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो सेक्स के दौरान आनंद में बदलाव ला सकते हैं, लेकिन यह किसी भी तरह से सेक्स से पूरी तरह से दूर होने का कारण नहीं बनता। नियमित सेक्स जीवन में सक्रिय रहना महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
3. "प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं किसी भी एक्सरसाइज से बचें"
यह भी एक गलत धारणा है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि से बचना चाहिए। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान कुछ एक्सरसाइज को चिकित्सक की सलाह से किया जा सकता है, जो न केवल महिला के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे होते हैं। हल्के व्यायाम, जैसे योग और वॉक, से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
4. "हॉर्मोनल असंतुलन केवल महिलाओं के लिए होता है"
हॉर्मोनल असंतुलन केवल महिलाओं से संबंधित समस्या नहीं है, यह पुरुषों में भी हो सकता है। महिलाओं में यह समस्या अधिक सामान्य होती है, क्योंकि उनके शरीर में मासिक धर्म, गर्भावस्था, और मेनोपॉज जैसी अवस्थाएं होती हैं, लेकिन पुरुषों में भी हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है। यह बात समझना जरूरी है कि हॉर्मोनल असंतुलन केवल महिलाओं की समस्या नहीं है, बल्कि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।
5. "महिलाएं हमेशा अपने शरीर की देखभाल करने में कम वक्त देती हैं"
बहुत से लोग मानते हैं कि महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य और शरीर की देखभाल करने में समय नहीं देतीं। हालांकि, यह मिथक पूरी तरह से गलत है। महिलाएं खुद को प्राथमिकता देने के लिए अधिक जागरूक हो रही हैं और अपनी सेहत को महत्व देती हैं। महिलाओं ने अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन आजकल महिलाएं अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए समय निकाल रही हैं।
6. "चाय और कॉफी पीने से महिलाओं को नुकसान होता है"
यह मान्यता कि चाय और कॉफी महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं, भी एक मिथक है। यदि चाय और कॉफी का सेवन संयमित रूप से किया जाए तो ये शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती हैं। कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और चाय में पाई जाने वाली हर्बल गुण महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, बशर्ते इसका सेवन अधिक मात्रा में न किया जाए।
7. "पैटर्नल वंशजों की जिम्मेदारी केवल महिलाओं की होती है"
यह मिथक भी महिलाओं के स्वास्थ्य और समाज के प्रति उनकी भूमिका को सीमित करता है। पारिवारिक जिम्मेदारियां केवल महिलाओं के कंधों पर डालने की यह धारणा गलत है। दोनों साथी के बीच जिम्मेदारी का बंटवारा होना चाहिए, और समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि माता-पिता दोनों को ही अपने बच्चों के पालन-पोषण में समान रूप से हिस्सा लेना चाहिए।
8. "महिलाओं को हड्डियों की कमजोरी का ज्यादा खतरा होता है"
यह मिथक महिलाओं के लिए एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या के रूप में फैलाया गया है, लेकिन पुरुषों को भी हड्डियों की कमजोरी या ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा होता है, विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ। महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी का खतरा अधिक होता है, खासकर मेनोपॉज के बाद, लेकिन यह पुरुषों में भी हो सकता है। हड्डियों की सेहत को बनाए रखने के लिए सही आहार और शारीरिक गतिविधि जरूरी है।
महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मिथक और गलत धारणाएं समाज में बनी हुई हैं, लेकिन अब इनको समझने और नकारने का समय आ गया है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और जो मिथक उन्हें प्रभावित कर रहे हैं, उनसे मुक्त होना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी है कि हम सही ज्ञान और समझ के साथ आगे बढ़ें, ताकि हम मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रह सकें।