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अकेली माँ से न कहें - आत्मविश्वास यानि कि सेल्फ-कोनफिडेन्स एक ऐसी चीज़ है जो लोगों के लगातार रोकने टोक ने से टूटने लगता है। महिलाएँ कुछ भी करने के काबिल हैं चाहे वो एक बहन के रूप में हो , माँ के रूप में हो या किसी कलाकार के रुप में हो। इसी तरह जब एक सिंगल मदर को समाज मे अकेले लड़ना हो तो समाज का उनके प्रति ज़िम्मेदारी बनती है की वो उनका ये सफर उनके लिए आसान करे और ये बस कुछ बातों का ध्यान रख कर किया जा सकता है जैसे कि :
बार बार निजी जीवन यानि कि पर्सनल लाइफ पर समाज को कमेंट नहीं करना चाहिए ।
आज के ज़माने मे सिंगल मदर होना आम बात हो गई है इसलिए समाज को भी इसे आम बात की तरह स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए ।
ऐसे कोई भी शब्द या हरकत ना ही बोलना चाहिए और ना ही करनी चाहिए जिस से कि मदर्स अपने ऊपर सेल्फ-डाउट करें और उनका मनोबल टूटे। उनकी सराहना यानि कि तारीफ करने से वो मज़बूती से खड़ी रह सकेगी।
बार बार ऐसा करने से मदर इरिटेट या परेशान हो सकती है और इस से कम उम्र बच्चे पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसी बातें अवॉयड करना चाहिए और अगर चार लोग ऐसा बोलते हैं तो उन्हें वही रोककर उनकी सोच मे भी सुधार कर देना चाहिए क्योंकि इस तरीके की बातें बात करने से ही सुधरती हैं।
1. सिंगल मदर किसी भी वजह से सिंगल हो उसे भरोसा दिलाये की उसका निर्णय सिंगल रहने का सही है
बार बार निजी जीवन यानि कि पर्सनल लाइफ पर समाज को कमेंट नहीं करना चाहिए ।
2. समाज को महिलाओं को भरोसा दिलाना चाहिए कि वो सिंगल मदर होकर भी उनके बच्चे की परवरिश कर सकती है
आज के ज़माने मे सिंगल मदर होना आम बात हो गई है इसलिए समाज को भी इसे आम बात की तरह स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए ।
3. समाज को सिंगल मदर की सराहना करनी चाहिए अकेली माँ से न कहें
ऐसे कोई भी शब्द या हरकत ना ही बोलना चाहिए और ना ही करनी चाहिए जिस से कि मदर्स अपने ऊपर सेल्फ-डाउट करें और उनका मनोबल टूटे। उनकी सराहना यानि कि तारीफ करने से वो मज़बूती से खड़ी रह सकेगी।
4. समाज को सिंगल मदर से और उसके बच्चे से बार-बार उनके फादर के बारे में चर्चा नहीं करनी चाहिए
बार बार ऐसा करने से मदर इरिटेट या परेशान हो सकती है और इस से कम उम्र बच्चे पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है।
5. समाज को उन्हें कभी ये एहसास नहीं कराना चाहिए कि वो अकेले परिवार नहीं संभाल सकती
ऐसी बातें अवॉयड करना चाहिए और अगर चार लोग ऐसा बोलते हैं तो उन्हें वही रोककर उनकी सोच मे भी सुधार कर देना चाहिए क्योंकि इस तरीके की बातें बात करने से ही सुधरती हैं।