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देश में कोविड की दूसरी वेव अपने चरम पर है और इस बीच आए दिन इस वायरस के नए वैरिएंट आ रहे हैं। इन दिनों कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच पुणे की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ विरोलॉजी ने अब महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में 2 बैट्स में निपाह वायरस के एंटीबाडीज पाए हैं। ये इस वायरस की पहली इंस्टैंस है और इसलिए ये खतरे के संकेत हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टॉप 10 पैथोजन्स की प्रायोरिटी लिस्ट में निपाह वायरस का नाम शुमार है।
अब तक देश में निपाह वायरस की आउटब्रेक्स के 4 इन्सिडेंट्स हो चुके हैं। साल 2001 में देश में निपाह वायरस का सबसे पहला इंसिडेंट वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी डिस्ट्रिक्ट में डिटेक्ट किया गया था। इसके बाद साल 2007 में भी वेस्ट बंगाल और असम में हुआ था इस वायरस का डिटेक्शन। साल 2018 में केरला की कोड़िकोड में इस वायरस का तीसरा आउट ब्रेक हुआ था जिसमें 18 लोगों की मृत्यु हुई थी। अगले साल फिर इसी स्टेट में दोबारा इस वायरस का आउट ब्रेक हुआ था।
डॉक्टर्स का मानना है की पहले जब कभी देश में इस वायरस का ऑउटब्रेक हुआ है हमने इसे बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके सिम्पटम्स किसी भी और वायरल रसएसपीटरय बीमारी के सिम्प्टस से मैच करते हैं कफ, कोल्ड, सांस लेने में परेशानी और जी मिचलाना। आपको इस दौरान डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
डॉक्टर्स की माने तो इस बीमारी की अब तक कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है और खुद का ख्याल रखने से ही आप इससे बच सकते हैं। ये बहुत ज़रूरी है की आप अपने लाइफ में प्रॉपर हाइड्रेशन मेन्टेन करें क्योंकि इसके लिए अभी सिर्फ सपोर्टिव केयर ही उपलब्ध है। इस बात का ध्यान रखा जाता है की पेशेंट हाइड्रेटेड हो और उसकी ऑक्सीजन थेरेपी को सपोर्ट मिलता रहे। निपाह वायरस में वोमिटिंग को कण्ट्रोल में रखने के लिए पेशेंट्स को अंतएसिड्स दिया जाता है।
डॉक्टर्स का मानना है की इस वायरस से बचने के लिए आपको अपना ख्याल रखना ज़रूरी है। ये बहुत ज़रूरी है की आप प्रिवेंटिव मैसर्स जैसे लगातार हाथ धोना और उस एरिया में ना जाना जहाँ बैट्स हो सकते हैं। डॉक्टर्स का ये भी मानना है की हमें ऐसे फ्रूट्स और वेजटेबल्स से भी दूरी बना कर रखना ज़रूरी है जो बैट्स वाले एरिया से आए हैं। इस वायरस का सबसे कॉमन रिजर्वायर है बैट्स और पिग्स।
4 बार हो चुके हैं निपाह वायरस के आउटब्रेक्स
अब तक देश में निपाह वायरस की आउटब्रेक्स के 4 इन्सिडेंट्स हो चुके हैं। साल 2001 में देश में निपाह वायरस का सबसे पहला इंसिडेंट वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी डिस्ट्रिक्ट में डिटेक्ट किया गया था। इसके बाद साल 2007 में भी वेस्ट बंगाल और असम में हुआ था इस वायरस का डिटेक्शन। साल 2018 में केरला की कोड़िकोड में इस वायरस का तीसरा आउट ब्रेक हुआ था जिसमें 18 लोगों की मृत्यु हुई थी। अगले साल फिर इसी स्टेट में दोबारा इस वायरस का आउट ब्रेक हुआ था।
क्या बताते है डॉक्टर्स निपाह वायरस के सिम्पटम्स के बारे में?
डॉक्टर्स का मानना है की पहले जब कभी देश में इस वायरस का ऑउटब्रेक हुआ है हमने इसे बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके सिम्पटम्स किसी भी और वायरल रसएसपीटरय बीमारी के सिम्प्टस से मैच करते हैं कफ, कोल्ड, सांस लेने में परेशानी और जी मिचलाना। आपको इस दौरान डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
क्या है इसकी ट्रीटमेंट?
डॉक्टर्स की माने तो इस बीमारी की अब तक कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है और खुद का ख्याल रखने से ही आप इससे बच सकते हैं। ये बहुत ज़रूरी है की आप अपने लाइफ में प्रॉपर हाइड्रेशन मेन्टेन करें क्योंकि इसके लिए अभी सिर्फ सपोर्टिव केयर ही उपलब्ध है। इस बात का ध्यान रखा जाता है की पेशेंट हाइड्रेटेड हो और उसकी ऑक्सीजन थेरेपी को सपोर्ट मिलता रहे। निपाह वायरस में वोमिटिंग को कण्ट्रोल में रखने के लिए पेशेंट्स को अंतएसिड्स दिया जाता है।
खुद का ख्याल रखने है ज़रूरी
डॉक्टर्स का मानना है की इस वायरस से बचने के लिए आपको अपना ख्याल रखना ज़रूरी है। ये बहुत ज़रूरी है की आप प्रिवेंटिव मैसर्स जैसे लगातार हाथ धोना और उस एरिया में ना जाना जहाँ बैट्स हो सकते हैं। डॉक्टर्स का ये भी मानना है की हमें ऐसे फ्रूट्स और वेजटेबल्स से भी दूरी बना कर रखना ज़रूरी है जो बैट्स वाले एरिया से आए हैं। इस वायरस का सबसे कॉमन रिजर्वायर है बैट्स और पिग्स।