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माता-पिता बेटी की शादी के साथ-साथ उसकी हायर एजुकेशन के लिए क्यों नहीं करते बचत ?

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Swati Bundela
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समाज 
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उसकी शादी उनकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है और ऊपर से हमारा ये समाज जो मानता है कि लड़की वालों को शादी बहुत ही रॉयल तरीके से करनी चाहिए । ये एक बहुत बड़ा रीज़न है जिसकी वजह से बेटियों को कई जगह बोझ माना जाता है । जैसे जैसे एक लड़की बड़ी होती जाती है , उसके माता पिता के मन में चिंता भी बढ़ती जाती है और वो दिन रात यही सोचते रहते हैं कि वो अपनी बेटी कि शानदार शादी करना कैसे अफ़्फोर्ड कर पाएंगे ।

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इन सबके बीच बेटी की पढ़ाई, जो उसके लिए प्रायोरिटी होती है, घर वालों के लिए सेकेंडरी बनती जाती है । घर वाले उसे ये एहसास दिलाते हैं कि उनके पास फंड्स तो हैं, लेकिन वो सिर्फ और सिर्फ उसकी शादी के लिए रिजर्व्ड हैं ।
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कुछ सवाल 
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लेकिन फिर लड़की कि सेल्फ वर्थ का क्या? उसके आस पास के लोग भी उसे यही कहते हैं कि वो चाहे जितनी भी टैलेंटेड हो , वो शादी करने के बाद ही सेटल्ड कहलाएगी। ज़्यादातर इंडियन वीमेन इसको एक्सेप्ट कर लेती हैं और फिर वही उनकी डेस्टिनी बन जाता है ।
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आखिर पेरेंट्स कब समझेंगे कि शादी नहीं लड़की की एजुकेशन और उसकी फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस उनकी प्रायोरिटी होना चाहिए


अगर वो अपने पैरों पे खड़ा होना चाहती है तो हम क्यों उसकी मदद नहीं कर सकते ?
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क्या सिर्फ लड़की कि शादी ही उसको फाइनेंसियली सिक्योर बनाने का एक तरीका है ?

आपको क्या लगता है ?

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#फेमिनिज्म पेरेंटिंग education vs marriage
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