भारतीय संस्कृति की अगर बात की जाये तो स्त्री का दूसरी शादी करना हमेशा घृणित दृष्टि से ही देखा जाता है चाहे वह महिला तलाकशुदा हो या विधवा। जबकि पुरुषों के साथ ऐसा बिलकुल भी नहीं है पुरुषों के सापेक्ष में अगर पुरुष तलाकशुदा हो या उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई हो तो इसी समाज में पुरुषों को दोबारा शादी करके घर बसाने की सलाह दी जाती है वही अगर कोई तलाक शुदा महिला दोबारा शादी करने की इच्छा जाहिर करती है तो उसके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता है एवं उससे उम्मीद की जाती है कि वह महिला अपना पूरा जीवन अकेले ही गुज़ार दे।
इन बातों के अलावा कुछ ऐसी भी परिस्थितियाँ होती हैं जब व्यक्ति के दूसरी शादी करने के फैसले को गलत नहीं कहा जा सकता।
1 - जब कोई स्त्री या पुरुष तलाक़शुदा हो -जब किसी महिला या पुरुष का अपनी पहली शादी से जुड़े हुए सारे सम्बन्ध कानूनी प्रक्रिया के तहत ख़त्म हो चुके हो तब कोई भी महिला या पुरुष दूसरी शादी कर सकता है लेकिन पहली पत्नी या पति के साथ रहते हुए दूसरी शादी करना कानूनी जुर्म मन गया है।
2 - जब महिला एवं पुरुष की पहली पत्नी या पति का देहांत हो गया हो - अक्सर महिला और पुरुषों को जवानी में ही विधवा/ विधुर होते देखा गया है जिसकी वजह से वह लोग अपनी नयी उम्र में ही अकेलापन को सामना करने के लिए विवश हो जाते है तो ऐसे में उन्हें अपने भविष्य के बारे म सोचते हुए दूसरी शादी करने में बिलकुल देर नहीं करनी चाहिए और दूसरी शादी करके अपना जीवन खुशियों से भरपूर जीना चाहिए।
3 - आपसी सहमति द्वारा लिया गया दूसरी शादी को निर्णय - कई बार दम्पत्तियों को बच्चे न होने के कारण भी अधिकतर पुरुषों के घर वाले अपने बेटे को दूसरी शादी करने की सलाह देते है और वह केवल सलाह ही नहीं देते वह घर की बहु पर भी अपने पति की शादी दूसरी शादी के लिए रजामंदी देने के लिए जोर - जबरदस्ती भी करते है जिसके चलते कई बार ये भी देखा गया है कि पति - पत्नी आपसी सहमति से भी दूसरी शादी करने को फैसला लेते है और समाज की नज़रों में तो ऐसे विवाह को वैधता मिल जाती है परन्तु ऐसे विवाह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत दंडनीय ही होगा।