Prostitution: जब कोई स्त्री किसी पुरुष से जो उसका पति नहीं है अथवा पुरुष किसी स्त्री से जो उसकी पत्नी नहीं है, यौन सम्बन्ध स्थापित करती/करता है और उसके बदले में धन या अन्य किसी प्रकार की वस्तु या सेवा प्राप्त करता, करती है तो उसे सामान्य रूप से वेश्याव॒त्ति माना जाता है।
भारत में वेश्यावृत्ति
भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार प्रदान करता है। लेकिन वेश्यावत्ति में शामिल यौन-कर्मियों को गरिमापूर्ण जीवन नसीब नहीं हो पाता है। इस तरह देखा जाए तो वे देश के ऐसे नागरिक होते हैं जिन्हें समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है।
भारत में वेश्याव॒त्ति का सबसे प्रमुख कारण गरीबी को माना जाता है। इस पेशे को अपनाने वाली ज्यादातर महिला लाचार वश ही इसे अपनाती हैं। वे सामान्यतः अशिक्षित भी होती हैं और उनके पास किसी कार्य का विशिष्ट कौशल भी नहीं होता है। दुर्भाग्य से यदि ऐसी महिलाओं का सामना दलालों से हो जाए तो उनके इस पेशा में आने की सम्भावना बढ़ जाती है। कई माता-पिता गरीबी से तंग आकर अपनी बेटियों को बेच देते हैं। कई महिलाओं एवं लड़कियों को उनके रिश्तेदारों, पति एवं पुरुष-मित्रों द्वारा भी इस पेशे में धकेला जाता है।
वेश्यावृत्ति के लिए कानून
विधेयक जिसकी वजह से वेश्यावृत्ति के कानूनी होने पर भी इसे दबे छिपे ढंग से किया जाता है, वह दरअसल इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 है। यह कानून वेश्यावृत्ति से जुड़ी हुई कुछ हरकतों को अपराध की शृंखला में रखता है।
Brothel चलाना इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 के सेक्शन 3 के मुताबिक वेश्यालय या brothel चलना अपराध है। इसकी परिभाषा में हर वह घर, कमरा या जगह आता है जिसका इस्तेमाल वेश्यावृत्ति के लिए किया जाता है।
वहीं इस कानून के सेक्शन 4 के मुताबिक किसी का वेश्या की कमाई पर ज़िन्दगी बसर करना भी अपराध है। परिवार के सदस्य भी ऐसा करें तो भी यह आपराधिक है।
सेक्शन 5 किसी भी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिए लुभाना, उसे इस पेशे में डालने को बाध्य करने को अपराध मानता है।
सेक्शन 7 के मुताबिक किसी सार्वजनिक जगह में पैसे के बदले सेक्स करना अपराध है। यानि किसी होटल, हॉस्पिटल, प्रार्थना स्थल या फिर अन्य घोषित सार्वजनिक जगहों पर इसमें लिप्त होना आपराधिक है।
क्या वेश्यावृत्ति को खत्म करने के लिए सरकार ने कुछ किया है?
वेश्यावृत्ति(Prostitution) प्राचीन है। जब से विवाह का विचार अस्तित्व में आया तब से यह भारतीय समाज का एक हिस्सा है। हाल के दिनों में वेश्यावृत्ति हिंसा, भेदभाव और शोषण का पर्याय बन गया है। वेश्यावृति वृत्ति को अक्सर भारतीय समाज में एक taboo के रूप में देखा जाता है, और इसके नियम के लिए परित्याग पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यह कागज का शोषण और हिंसा के साथ वेश्यावृति के संबंध की जांच करता है। स्वतंत्रता के बाद की और स्वतंत्रता से पहले की स्थिति ने वेश्यावृत्ति के संबंध में कई अधिनियम बनाए हैं, और इसके वैधीकरण पर विभिन्न पुस्तकें और लेख भी हैं।