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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाना: महिलाएं कैसे करें अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग

यौन उत्पीड़न गंभीर मुद्दा है, कानूनी प्रावधान हैं, पर डर के कारण महिलाएं चुप रह जाती हैं। आइए जानें महिलाएं कैसे करें अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग

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Priyanka
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Sexual Harassment

Photograph: (Pinterest)

Raising your voice against sexual harassment at workplace demand safety and rights: 

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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है, जो न केवल पीड़ित की मानसिक और शारीरिक सेहत को प्रभावित करता है, बल्कि उनके पेशेवर जीवन को भी नुकसान पहुंचाता है। भारत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन अक्सर महिलाएं डर, शर्म या सामाजिक दबाव के कारण अपनी आवाज़ नहीं उठा पातीं। यह लेख महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से लिखा गया है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाना: महिलाएं कैसे करें अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग

1. यौन उत्पीड़न क्या है?

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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में अवांछित यौन संबंधी टिप्पणियां, शारीरिक संपर्क, यौन संबंधी इशारे, या कोई भी ऐसा व्यवहार शामिल है जो पीड़ित को असहज करता है। यह व्यवहार किसी भी रूप में हो सकता है, चाहे वह मौखिक, शारीरिक या गैर-शारीरिक हो।

2. कानूनी अधिकार और प्रावधान

भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ "यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013" लागू है। इस कानून के तहत-हर संगठन में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन करना अनिवार्य है। पीड़ित महिला शिकायत दर्ज करा सकती है और उसकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी। शिकायत की जांच के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। यदि आरोप सही पाया जाता है, तो दोषी को सजा दी जा सकती है।

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3. महिलाएं कैसे उठाएं अपनी आवाज़?

साहस जुटाएं और बोलें: पहला कदम है अपने डर को पीछे छोड़ना। यदि आपको लगता है कि आपके साथ गलत व्यवहार हो रहा है, तो तुरंत आवाज़ उठाएं। घटना को दर्ज करें, आंतरिक शिकायत समिति (ICC) से संपर्क करें, कानूनी सहायता लें और परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों का सहयोग लें। इससे आपको मानसिक ताकत मिलेगी।

4. समाज की भूमिका

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समाज को भी इस मुद्दे पर जागरूक होने की आवश्यकता है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं का समर्थन करना चाहिए, न कि उन्हें दोष देना चाहिए। संगठनों को भी एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण बनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन यह जरूरी है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को सहन नहीं करना चाहिए। यदि हम सभी मिलकर इस समस्या के खिलाफ खड़े हों, तो एक सुरक्षित और समान कार्य वातावरण बनाना संभव है।

 

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