Advertisment

रेप होने पर महिलाओं पर विश्वास की जगह शक क्यों किया जाता है?

author-image
Swati Bundela
New Update

Advertisment

रेप होने पर महिलाओं पर विश्वास की जगह शक क्यों किया जाता है?


इस समाज ने बचपन से हमेशा लड़कियों को ही समझाया है की ये मत करो, ऐसे मत बैठो, लडको के सामने जुबान मत चलाओ, ऐसी हरकतें करोगी तो को करेगा तुम से शादी। लेकिन क्या कभी किसी ने अपने बेटो को समझने की कोशिश की की महिलाओ का सामान करो, उनको आदर से देखो चाहे वो तुम्हारी मां, बहन, दोस्त, या कोई भी हो।
Advertisment

आज भी जब एक लड़की या औरत का रेप होता है, उस समय के लिए हम सब काफी अफसोस करते है लेकिन उसके अगले ही क्षण हम उस महिला या औरत पर ही शक करने लग जाते हैं। मन घड़न बातें बनाने लग जाते है। की उसके कपड़े ढंग कर नहीं होंगे, लड़की ने उकसाया होगा वरना कोई आदमी खुद भला क्यों करेगा।
Advertisment

हमारे समाज में क्या कमी है?


हमारा समाज आज भी औरतों को इसका दोषी मानता है। इसीलिए उन पर विश्वास करने की जगह हम उन्हें शक की निगाहों से देखते है। इसके कही करुण है जैसे कि जब भी इस प्रकार कि कोई भी घटना घटती है लोग अक्सर अपनी बेटियों को घर में रहने को कहते है, समाज में नज़रे झुका कर चलने को कहते है जिससे लड़कियों का मनोबल और कम हो जाता है और वो अपने आप को कमजोर समझने लगती है।
Advertisment

इस से लड़ने और ख़तम करने के लिए हमें एक जुट हो कर इस चोटी सोच का सामना करना है एक बेहतर कल के लिए। हमारे और आने वाले पीढ़ी के लिए। हमें मिल कर महिलाओं को हौसला, हिम्मत देनी है और उनका साथ देना है की वो अपनी आवाज़ बिना झिझक और संकोच के उठा सके। अपना हक और इंसाफ मांग सके। और इस रेप कल्चर का नाश हो सके।
Advertisment