Women And Society: क्यों आज भी समाज में महिलाओं को निशाना बनाना आसान है?

महिलाओं को आज भी समाज में निशाना बनाना आसान है क्योंकि हमारे समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी लिंगभेद और पितृसत्तात्मक मानसिकता है। महिलाओं के प्रति भेदभाव और हिंसा की घटनाएं आज भी आम हैं।

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Shivalika Srivastava
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what to do if husband commits domestic voilence

Photograph: (File Image )

Reasons Behind Women Still Being the Soft Targets for the Society: समाज आज कितना भी आगे क्यों ना बढ़ गया हो लेकिन Gender Inequality और Patriarchy जैसी चीजें आज भी हमारे समाज में चल रही हैं। हमारे समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अपने अधिकारों से वांछित रखा जाता है। परिस्थितियों में सुधार अवश्य आया है लेकिन पूरी तरह से सही हुई हैं, यह अभी नहीं कहा जा सकता। आज भी महिलाओं को समाज की बहुत सारी कुरीतियों का शिकार बनना पड़ता है। यह कहने में किसी भी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं होगी कि आज भी महिलाएं समाज के लिए Soft Target हैं।

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क्यों आज भी समाज में महिलाओं को निशाना बनाना आसान है?

आइए जानते हैं कि क्यों समाज में आज भी महिलाओं को निशाना बनाना आसान है 

1.जागरूकता की कमी

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देश भले ही बहुत आगे बढ़ चुका है परंतु आज भी आधे से ज्यादा महिलाओं को उनके अधिकारों एवं Powers की जानकारी नहीं है और ना ही वे लेना चाहती हैं। सरकार महिलाओं के हित में कितने भी नियम क्यों ना बना दे लेकिन जबतक महिलाएं खुद अपने लिए कदम नहीं उठाएंगी, परिस्थितियों में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।

2.लिंगभेद और patriarchal मानसिकता

हम कितनी भी feminism की बातें क्यों ना कर लें परंतु इस बात को नकार नहीं सकते कि लिंगभेद एवं पुरुषवादी सोच जैसी चीजें आज भी हमारे समाज में जड़ जमाए बैठी हैं और उन्हें निकलना इतना आसान नहीं होगा। आज भी समाज की यही उम्मीदें होती हैं कि घर बाहर की अधिकांश जिम्मेदारियां पुरुष ही निभाएं और महिलाएं घर पर बैठकर परिवार का ध्यान रखें।

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3.मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति

मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अक्सर मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व विकृत और रूढ़िवादी होता है, जो महिलाओं के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।

4.हिंसा और उत्पीड़न 

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हिंसा और उत्पीड़न के कारण महिलाओं को शारीरिक और मानसिक नुकसान होता है, और उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती है। इससे महिलाओं के लिए अपने जीवन को सामान्य रूप से जीना मुश्किल हो जाता है।

5.संकीर्ण सोच

हम कितना भी gender equality की बातें क्यों ना कर लें लेकिन यह बात बिल्कुल सच है कि हमारा झुकाव आज भी लड़कों के प्रति ज्यादा है। आज भी परिवार के पहले बच्चे के जन्म के समय यही इच्छा रखी जाती है कि वह लड़का हो क्योंकि आखिर लड़के ही तो वंश को आगे बढ़ाएंगे ना, लड़की तो पराए घर की होती है , हालांकि वास्तविकता इससे बहुत अलग होती।

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