इंदिरा गांधी की जयंती पर उनकी राजनीतिक यात्रा पर एक नज़र

भारत की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को प्रयागराज में हुआ था। वे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री थीं।

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Kopal Porwal
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Indira Gandhi(Mint)

भारत की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को प्रयागराज में हुआ था। वे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री थीं। उनका बचपन काफी अकेलेपन में गुज़रा, क्योंकि उनका परिवार भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न हिस्सा था। उनके पिता राजनीतिक कार्यों के कारण अक्सर अनुपस्थित रहते थे और उनकी माता कमला नेहरू अधिकांश समय तपेदिक (टीबी) से पीड़ित रहती थीं। इंदिरा अपनी शिक्षा भी नियमित रूप से पूरी नहीं कर पाईं, हालांकि उनके घर पर शिक्षक पढ़ाने आया करते थे।

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इंदिरा गांधी की जयंती पर उनकी राजनीतिक यात्रा पर एक नज़र

राजनीति में आगमन

युवावस्था में ही इंदिरा गांधी ने "बाल चरखा संघ" की स्थापना की और 1930 में "वानर सेना" बनाई, जो युवा स्वयंसेवकों का समूह था और जिसने असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस की सहायता की।

सन् 1955 में इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुईं। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत मानी जाती है। 1959 में वे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गईं, जो उनके उभरते नेतृत्व की पहली बड़ी पहचान थी। इसके बाद वे अपने पिता के साथ विदेश यात्राओं और महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होती रहीं, जिससे उन्हें वैश्विक राजनीति की गहरी समझ मिली।

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प्रधानमंत्री बनने का सफर

1964 में नेहरू के निधन के बाद इंदिरा गांधी को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री नियुक्त किया गया।

जनवरी 1966 में शास्त्री जी के अचानक निधन के बाद कांग्रेस ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया। 48 वर्ष की आयु में इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।

महत्वपूर्ण निर्णय और राजनीतिक मजबूती

इंदिरा गांधी का पूरा कार्यकाल बड़े निर्णयों और सशक्त नीतियों से भरा रहा:

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1. हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ाया।

2. बैंकों का राष्ट्रीयकरण और राजाओं की प्रिवी पर्स की समाप्ति ने भारत की आर्थिक संरचना को नई दिशा दी।

3. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत और बांग्लादेश का निर्माण उनकी मजबूत नेतृत्व क्षमता का बड़ा प्रमाण है।

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4. उनका लोकप्रिय नारा "गरीबी हटाओ" से वह लोकप्रिय बनीं, और जनता का भरोसा जीता।

राजनीतिक आलोचनाएँ

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री होने के कारण कई पुरुष नेता उन्हें कम आँकते थे और अक्सर उनका मज़ाक उड़ाते थे, हालांकि जनता के बीच वे बेहद लोकप्रिय थीं।

1976 के आपातकाल के दौरान भारतीय राजनीतिज्ञ डी.के. बरूआ ने नारा दिया: "India is Indira, and Indira is India."

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इस नारे का उद्देश्य यह दिखाना था कि उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्र भारत को एक-दूसरे से अलग नहीं माना जा सकता।

हालाँकि, 1975 में लगाया गया आपातकाल इंदिरा गांधी के राजनीतिक जीवन का सबसे विवादास्पद अध्याय माना जाता है। इस अवधि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस तथा विपक्ष पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। इसे लोकतंत्र का काला अध्याय भी कहा जाता है, जहाँ लोगों की सामान्य स्वतंत्रता तक सीमित हो गई थी। विपक्ष आज भी इस निर्णय की आलोचना करता है।

दूसरा कार्यकाल और अंतिम समय

आपातकाल के बाद सत्ता खोने के बावजूद 1980 में इंदिरा गांधी दोबारा प्रधानमंत्री बनीं। उनके दूसरे कार्यकाल में पंजाब में बढ़ रहे उग्रवाद से निपटना एक बड़ी चुनौती थी, जिसके चलते ऑपरेशन ब्लूस्टार जैसी कठोर कार्रवाई करनी पड़ी।

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31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या कर दी गई, जिससे भारतीय राजनीति में गहरा सदमा फैल गया और देश एक लंबे समय तक शोक में डूबा रहा।