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शादीशुदा महिलाओं के अधिकार क्या क्या होते हैं?

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Swati Bundela
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शादीशुदा महिलाओं के अधिकार -

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1 . राइट अगेंस्ट डोमेस्टिक वोइलेंस



इंडियन सोसाइटी में हर महिला के पास उसके पति या ससुराल वालों के ख़िलाफ़ घरेलु हिंसा को लेकर शिकायत करने का अधिकार होता है। चाहें वह मेन्टल टार्चर हो या इमोशनल, महिला किसी भी शिकायत में अपनी FIR लिखवा सकती है।
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शादीशुदा महिलाओं के अधिकार

2 . राइट टू लिव इन मैरिटल हाउस

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हिन्दू अडोप्शंस एंड मेन्टेन्स एक्ट के तहित कोई भी महिला अपने पति के घर रह सकती है। वह घर किसी का भी हो अगर किसी महिला का पति उस घर में रहता है या उसके घरवाले तो महिला का भी हक़ है उस घर में रहने का ।

3. राइट टू स्त्रीधन

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स्त्रीधन वह सब सामान होता है जो एक महिला को उसकी शादी के वक़्त या बच्चा होने क बाद मिलता है, फिर वह चाहे प्रॉपर्टी हो या गहने हो। इसके पीछे का रीज़न यह होता है कि शादी के बाद महिला को किसी चीज़ की परेशानी न हो।

4 . राइट टू पैरेंटल प्रॉपर्टी

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पहले 1 शादीशुदा महिला को अपने पैरेंटल हाउस के प्रॉपर्टी पर कोई हक़ नहीं होता था पर अब हर महिला को अपने पेरेंट्स की प्रॉपर्टी पर अपने भाई जितना बराबर अधिकार होता हैं।

5 . राइट टू लिव विथ डिग्निटी एंड रिस्पेक्ट

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भारतीय महिला के पास शादीशुदा जीवन के बाद उसकी पूरी इज़्ज़त और गौरव क साथ रहने का हक़ है, वह एक सामान्य जीवन जी सकती है जो उसके ससुराल वाले या पति जीता है, और हर काम मे अपनी हिस्सेदारी भी दिखा सकती है।

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6 . राइट टू मैंटेनैंस बाय हस्बैंड



शादीशुदा महिला अपने पति पर अपने रहने को लेकर क्लेम कर सकती है अगर उसको सही तरीके से सब कुछ नहीं मिल रहा तो हस्बैंड की इनकम देखते हुए लॉ की मदद ले सकती है।

7 . राइट टू चाइल्ड मैंटेनैंस



यह माँ-पिता का अधिकार है की एक बच्चे को सब कुछ मिले और अगर बच्चे की माँ की कोई कमाई का जरिया नहीं है तो यह एक पिता का फर्ज है की उसके बच्चे को सब कुछ मिले।
सोसाइटी
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